डॉक्टर भी देते हैं सप्ताह में एक दिन उपवास करने की सलाह
जानिए उपवास का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व**
व्रत और उपवास की परंपरा भारतवर्ष में सदियों से चली आ रही है। प्राचीन काल में ऋषि-मुनि, साधु-संत और धर्माचार्य उपवास को आत्मशुद्धि और साधना का मुख्य माध्यम मानते थे। आज भी हिंदू धर्म में उपवास को विशेष महत्व दिया गया है, चाहे वह पर्व-त्योहार के अवसर पर हो या किसी विशेष देवी-देवता की आराधना के लिए।
परंतु केवल धार्मिक कारण ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी उपवास रखना लाभकारी माना गया है। यही कारण है कि आजकल कई चिकित्सक (डॉक्टर) भी सप्ताह में एक दिन उपवास करने की सलाह देने लगे हैं। यह शरीर, मन और आत्मा — तीनों के लिए फायदेमंद माना जाता है।
धार्मिक दृष्टिकोण से उपवास का महत्व
-
आत्मिक और मानसिक शुद्धि
धर्मशास्त्रों में उपवास को साधना और तपस्या का एक आवश्यक अंग बताया गया है। उपवास से मन शांत होता है, इंद्रियों पर नियंत्रण बढ़ता है और आत्मिक शुद्धि की ओर व्यक्ति अग्रसर होता है। -
आस्था और भक्ति का मार्ग
उपवास को ईश्वर की भक्ति और विश्वास की एक सशक्त अभिव्यक्ति माना गया है। व्रत रखने से न केवल मन की एकाग्रता बढ़ती है, बल्कि व्यक्ति के भीतर नैतिक विवेक और आत्मबल भी जागृत होता है। -
ऋषियों की परंपरा
प्राचीन ऋषि-मुनियों की साधना में उपवास एक नियमित अंग था। लंबे समय तक उपवास करके उन्होंने अपने शरीर और मन पर ऐसा नियंत्रण पाया, जिससे आध्यात्मिक ऊंचाइयों को प्राप्त किया।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उपवास के लाभ
-
पाचन तंत्र को विश्राम
उपवास के दौरान जब हम हल्का भोजन या फलाहार करते हैं, तो शरीर का पाचन तंत्र विश्राम करता है। इससे पाचन शक्ति बेहतर होती है और शरीर में विषैले तत्व बाहर निकलने लगते हैं। -
शरीर में स्फूर्ति और कार्यक्षमता में वृद्धि
एक दिन उपवास रखने से शरीर में हल्कापन आता है, जिससे स्फूर्ति बढ़ती है और मानसिक एकाग्रता भी बढ़ती है। इससे कार्य क्षमता में सुधार देखा गया है। -
मानसिक तनाव में राहत
उपवास व्यक्ति को न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी आराम देता है। तनाव, चिंता और मानसिक दबाव के कारण जो बीमारियां उत्पन्न होती हैं, उनसे राहत पाने में यह सहायक हो सकता है। -
अनावश्यक खर्च से बचाव
नियमित रूप से उपवास रखने वाले लोग अक्सर कम बीमार पड़ते हैं, जिससे डॉक्टर की फीस, दवाइयों और इलाज पर होने वाले खर्च से बचाव होता है।
निष्कर्ष
व्रत-उपवास केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि एक संतुलित जीवनशैली का हिस्सा है। यह न केवल आपको आध्यात्मिक ऊंचाइयों की ओर ले जाता है, बल्कि आपको एक स्वस्थ, अनुशासित और मानसिक रूप से शांत जीवन भी प्रदान करता है।
इसलिए चाहे आप धार्मिक व्यक्ति हों या स्वास्थ्य के प्रति जागरूक – सप्ताह में एक दिन उपवास रखना आपके जीवन में शांति, ऊर्जा और स्थिरता ला सकता है।