मूल नक्षत्र ज्योतिष रहस्य

मूल नक्षत्र ज्योतिष रहस्य

आज की हमारी चर्चा मूल नक्षत्र पर केंद्रित है। यह आकाश मण्डल में मौजूद उन्नीसवां नक्षत्र है जो २४०  डिग्री से लेकर २५३.२० डिग्री तक गति करता है। इस नक्षत्र को असुर भी कहा जाता है। मूल नक्षत्र के स्वामी केतु, नक्षत्र देवी निरित्ती (निवृत्ती देवी) और राशि स्वामी गुरु हैं। यदि आपके कोई सवाल हैं अथवा आप हमें कोई सुझाव देना चाहते हैं तो आप हमारी वेब साइट पर विज़िट कर सकते हैं। आपके प्रश्नों के यथा संभव समाधान के लिए हम वचन बद्ध हैं।

मूल नक्षत्र वैदिक ज्योतिष में

मूल नक्षत्र आकाश मण्डल में मौजूद ग्यारह तारों से बनी हुई आकृति है। जिसका प्रतीक शंख अथवा सिंह की पूँछ अथवा जड़ों का गुच्छा है। मूल नक्षत्र के स्वामी केतु देव हैं और यह नक्षत्र धनु राशि में 0 डिग्री से१३.२० डिग्री तक गति करता है। इस नक्षत्र की देवीनिरित्ती हैं। मूल नक्षत्र के जातकों के जीवन पर केतु व्गुरुदेव का प्रत्यक्ष प्रभाव देखा जा सकता है।

            नक्षत्र स्वामी : केतुदेव

            नक्षत्र देव : निरित्ती (निवृत्तीदेवी)

            राशि स्वामी : गुरुदेव

            विंशोत्तरी दशा स्वामी : केतु देव

            चरण अक्षर : ये, यो, पा, पि

            वर्ण : शूद्र ( कसाई )

            गण : राक्षस

            योनि : कुत्ता

            नाड़ी : आदि

            पक्षी : गिद्ध

            तत्व : वायु

            प्रथम चरण : मंगल

            द्वितीय चरण : शुक्र

            तृतीय चरण : बुद्ध

            चतुर्थ चरण : चंद्र

            वृक्ष : साल का पेड़

            बीज मंत्र : ॐ नं,  ॐ फं

मूल नक्षत्र जातक की कुछ विशेषताएं व्जीवन

मूल नक्षत्र के जातक आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी, हमेशा अलर्ट रहने वाले, खोजी प्रवृत्ति के स्वामी होते हैं।ये शिकार के शौक़ीन होते हैं और मांसाहार इन्हें पसंद होता है। इस नक्षत्र का नाम ही मूल है और प्रतीक जड़ों का गुच्छा है जो बताता है की ये बात की तह तक जाते हैं। कोई भी काम ऊपर ऊपर से कर नाइन के हित में नहीं होता। यदि जल्दबाजी में कोई निर्णय लें तो बाद में पछताना पड़ता है। जल्दबाजी इनके लिए नुकसानदायक होती है। ऐसे निर्णयों की वजह से इन्हे कई बार फाइनेंसियल लॉसेस होते हैं और प्रोफेशन भी बदलना पड़ता है प्रोफेशनल उन्नति के लिए इन्हे परिवार से दूर (विदेश) जाना पड़ता है। वायु तत्व दर्शाता है की कई बार आवश्यकता से अधिक बोलते हैं और ऐसी सलाह भी दे देते हैं जो सामने वाले के बिलकुल भी हित में नहीं होती। यदि इन्हें स्वयं उसी सलाह पर अमल करने को कहा जाए तो ये नहीं करेंगे। आपके लिए सलाह है की आपको मादक पदार्थों के सेवन और पर स्त्रियों के साथ अंतरंग संबंधों से बचना चाहिए। हालांकि उम्र बढ़ने के साथ साथ आप धार्मिक होते चले जाते हैं और अपने ऋतुअल्स को पारम्परिक तरीके से फॉलो करते पाए जाते हैं।

मूल नक्षत्र के जातक/ जातिका की मैरिड लाइफ मूल नक्षत्र के जातक की मैरिड लाइफ अच्छी कही गयी है। आपको बहुत अच्छा जीवन साथी प्राप्त होता है।

मूल नक्षत्र जातक का स्वास्थ्य

कमर और कुल्हे का दर्द, टीबी और लकवा इत्यादि होने की संभावना अक्सर रहती है। रोजाना बीज मन्त्र का १०८ बार उच्चारण करें आपकी रोग प्रतिकारक क्षमता में वृद्धि होतीहै,मानसिक तनाव दूर होता है, सफलता मिलने में सहायता प्राप्त होती है। नक्षत्र से सम्बंधित पेड़ से निर्मित औषधि रोगों को दूर करने में बहुत अधिक सहायक होती है।

मूल नक्षत्र जातक शिक्षा व्व्यवसाय

इस नक्षत्र के जातक का सम्बन्ध मूल से है जिसका अर्थ ही होता है जड़ ये डीप स्टडी में जा सकते हैं, अनुसंधानकर्ता अथवा खोजकर्ता हो सकते हैं। जहाँ बहुत कम लोगों का ध्यान जाता है जैसे भूत प्रेत सिद्ध करने वाले होते हैं। गुप्त चर होते हैं। आषधियों के बारे में जानने वाले और औषधियों के निर्माता होते हैं। मूलतः ये खोजी प्रवृत्ति के होते हैं जैसे मनोचिकित्सक अथवा ज्योतिषी आदि किसी भी प्रकार की खोज या जाँच पड़ताल से संबंधित कार्य इस नक्षत्र के अधीन आते हैं। अधिकांशत या इन को जीविका उपार्जन के लिए घर से बहुत दूर जाना पड़ता है।