देवगुरु बृहस्पति कर्क राशि में वक्री - 11 नवंबर 2025
11 नवंबर 2025 देवगुरु बृहस्पति कर्क राशि में वक्री। वक्री होना मतबल उल्टी चाल से चलना। 23 दिनों तक गुरु बृहस्पति वक्री होने के बाद 4 दिसंबर 2025 को मिथुन राशि में गोचर करेंगे। ज्योतिष के अनुसार, जब गुरु उच्च राशि में रहते हैं तो उनका प्रभाव अत्यंत शुभ और शिक्षाप्रद होता है। किंतु वक्री अवस्था में यह प्रभाव अंतरमुखी और आध्यात्मिक रूप से गहरा हो जाता है। इस समय व्यक्ति अपने पुराने निर्णयों, संबंधों और कर्मों का मूल्यांकन करता है।
समाज में धर्म, शिक्षा, न्याय और मानवीय मूल्यों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। यह अवधि आत्ममंथन, सुधार और ज्ञान-वृद्धि के लिए अत्यंत उपयुक्त है।
मेष राशि (Aries)
गुरु चौथे भाव में वक्री होकर गृह और पारिवारिक जीवन पर असर डालेंगे। पारिवारिक मामलों में भावनात्मक निर्णय न लें। माता से संबंधित किसी जिम्मेदारी को पूरा करना पड़ेगा। भूमि या वाहन से जुड़े कार्य रुके हो तो अब गति मिलेगी।
उपाय: हर गुरुवार पीले पुष्प विष्णु मंदिर में चढ़ाएँ और माता का आशीर्वाद लें।
वृषभ राशि (Taurus)
गुरु तीसरे भाव में वक्री होंगे। साहस और संचार में सुधार होगा। पुराने संपर्कों से लाभ के अवसर मिल सकते हैं। भाई-बहनों से संबंध मजबूत होंगे। परंतु निर्णय जल्दबाजी में न लें।
उपाय: गुरुवार को बेसन के लड्डू दान करें और पीले वस्त्र धारण करें।
मिथुन राशि (Gemini)
गुरु दूसरे भाव में वक्री होकर धन और वाणी पर प्रभाव डालेंगे। आय के नए स्रोत खुलेंगे, परंतु खर्च भी बढ़ सकता है। पारिवारिक निर्णयों में संयम रखें। पुराने निवेश अब लाभ दे सकते हैं।
उपाय: ब्राह्मणों को पीले फल या हल्दी का दान करें।
कर्क राशि (Cancer)
आपकी ही राशि में वक्री गुरु आत्मविकास और आत्मचिंतन का समय देंगे। आत्मविश्वास बढ़ेगा और जीवन में नए अवसर खुलेंगे। स्वास्थ्य और प्रतिष्ठा में सुधार होगा। यह आत्मशोधन और कर्म-संतुलन का समय है।
उपाय: गुरुवार को पीले वस्त्र पहनें और “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
सिंह राशि (Leo)
गुरु बारहवें भाव में वक्री होंगे, जिससे विदेश यात्रा, आध्यात्मिक साधना और खर्चों में वृद्धि हो सकती है। आत्मिक शांति के लिए ध्यान करें। कोई पुराना स्वास्थ्य संबंधी मामला अब सुधर सकता है।
उपाय: भगवान विष्णु को केले का भोग लगाएँ और पीली चीजें दान करें।
कन्या राशि (Virgo)
गुरु ग्यारहवें भाव में वक्री होकर मित्रों व लाभ के अवसरों में सुधार लाएंगे। अधूरे प्रोजेक्ट पूरे होंगे। सामाजिक संपर्क से आर्थिक लाभ मिलेगा। मित्रता में ईमानदारी बनाए रखें।
उपाय: चने की दाल, हल्दी या पीले फूल दान करें।
तुला राशि (Libra)
गुरु दशम भाव में वक्री होकर करियर और सम्मान में सुधार देंगे। पुराने कार्यों की समीक्षा करें और अपने लक्ष्य को पुनः निर्धारित करें। पदोन्नति या नए दायित्व की संभावना है।
उपाय: हर गुरुवार भगवान विष्णु के मंदिर में दीपक जलाएं और तुलसी को जल अर्पित करें।
वृश्चिक राशि (Scorpio)
गुरु नवम भाव में वक्री होकर भाग्य, धर्म और शिक्षा के क्षेत्र में शुभ परिणाम देंगे। विदेश यात्रा या उच्च शिक्षा की संभावनाएँ प्रबल होंगी। धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी।
उपाय: प्रतिदिन “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें और केले के पौधे को जल दें।
धनु राशि (Sagittarius)
गुरु अष्टम भाव में वक्री होकर गूढ़ विषयों, रहस्यों और विरासत से जुड़ी स्थितियों को उजागर करेंगे। किसी गुप्त लाभ या बीमा संबंधी फायदा संभव है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
उपाय: ब्राह्मणों को पीले चावल दान करें और अपने गुरुदेव का सम्मान करें।
मकर राशि (Capricorn)
गुरु सप्तम भाव में वक्री होकर दांपत्य और साझेदारी पर प्रभाव डालेंगे। जीवनसाथी के साथ संवाद सुधरेगा। विवाह योग्य जातकों के लिए अच्छे प्रस्ताव मिल सकते हैं।
उपाय: हर गुरुवार पीले कपड़े धारण करें और बृहस्पति को नमस्कार करें।
कुंभ राशि (Aquarius)
गुरु षष्ठ भाव में वक्री होकर स्वास्थ्य और कार्यक्षेत्र में सुधार लाएंगे। शत्रुओं पर विजय और लंबित मामलों में सफलता मिलेगी।
उपाय: भगवान विष्णु के मंदिर में दीपदान करें और गुरुवार को उपवास रखें।
मीन राशि (Pisces)
गुरु पंचम भाव में वक्री होकर प्रेम, संतान और सृजनात्मकता में वृद्धि करेंगे। बच्चों से सुख मिलेगा और रुका हुआ कार्य पूरा होगा। प्रेम संबंधों में स्थिरता आएगी।
उपाय: पीले पुष्प और केसर का तिलक लगाएँ तथा गुरु को चने की दाल अर्पित करें।