जूही के फायदे हैरान कर देंगे आपको
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जूही के फूल के औषधिय गुणों के कारण आयुर्वेद में इसको सिर दर्द, दस्त, बिवाई, मूत्राघात जैसे बीमारियों के लिए फायदेमंद माना जाता है। चलिये जूही के फूल किन-किन बीमारियों के लिए औषधि के रुप में काम करती है इसके बारे में आगे पढ़ते हैं-
सिरदर्द में फायदेमंद जूही के फूल
अगर आपको काम के तनाव और भागदौड़ भरी जिंदगी के वजह से सिरदर्द की शिकायत रहती है तो जूही का घरेलू उपाय बहुत लाभकारी सिद्ध होगा। दालचीनी, यूथिका आदि द्रव्यों का चूर्ण तथा इनसे पकाए तेल को 1-2 बूँद नाक में डालने से सिरदर्द से राहत मिलती है।
आँखों का जलन करे दूर जूही का फूल
जूही के फूलों को आँखों पर रखने से आँखों को शीतलता (ठंडक) मिलती है या पुष्पों को पीसकर आँखों के बाहर चारों तरफ लगाने से आँखों का जलन कम होता है।
कान के दर्द में फायदेमंद जूही का फूल
अगर सर्दी-खांसी या किसी बीमारी के साइड इफेक्ट के तौर पर कान में दर्द होता है तो जूही से इस तरह से इलाज करने पर आराम मिलता है। जूही के पत्तों को तिल के तेल में मिलाकर पकाकर, छानकर 1-2 बूंद कान में डालने से कान का दर्द कम होता है।
मुखपाक (मुँह और होंठो में छाले या सूजन) में लाभकारी जूही के फूल
अगर किसी बीमारी या पौष्टिकता की कमी के कारण मुँह में छाले हो रहे हैं तो जूही से इस तरह से उपचार करने पर जल्दी आराम मिलेगा-
- जूही के पत्तों को चबाने से मुखपाक में लाभ होता है।
- जूही पत्तों का काढ़ा बनाकर कुल्ला या गरारा करने से मुखपाक में लाभ होता है।
- जूही के पत्तों में दारुहरिद्रा और त्रिफला मिलाकर उनका काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से भी मुखपाक में लाभ होता है।
चमेली का तेल दांत दर्द से दिलाये राहत
अगर दांत दर्द से परेशान हैं तो चमेली के तेल का इस तरह से सेवन करने पर जल्दी आराम मिलता है। फूल तथा जड़ के काढ़ा को दर्द वाले दाँत पर रगड़ने से जल्दी दर्द कम होता है।
दस्त में लाभकारी जूही का फूल
अगर ज्यादा मसालेदार खाना, पैकेज़्ड फूड या बाहर का खाना खा लेने के कारण दस्त है कि रूकने का नाम ही नहीं ले रहा तो चमेली फूल से बना घरेलू उपाय बहुत काम आयेगा। यूथिका के पत्ते का रस से बनाए खड्यूष (10-20 मिली) में घी, अम्ल तथा नमक मिलाकर सेवन करने से अतिसार या दस्त से छुटकारा मिलता है।
मूत्राघात (मूत्र करने में कठिनता) में फायदेमंद चमेली का फूल
मूत्राघात में रुक-रुक कर पेशाब होता है जिसके कारण असहनीय दर्द सहना पड़ता है। 5 ग्राम जूही की जड़ को, 100 मिली बकरी के दूध में पकाकर, छानकर सेवन करने से मूत्रविकारों में लाभ मिलता है।
मूत्रशर्करा (मूत्र में ग्लूकोज) करे कम जूही का फूल
मूत्र में ग्लूकोज के लेवल को कम करने में जूही के फूल का औषधीय गुण बहुत काम आता है। यूथिका की जड़ तथा कुलथी से बने काढ़े (10-20 मिली) का सेवन करने से मूत्रशर्करा तथा मूत्रकृच्छ्र या मूत्र संबंधी समस्या दूर होती है।
योनि संबंधी रोग में फायदेमंद जूही का फूल
पीली जूही की जड़ को पीसकर योनि पर लगाने से योनि-विकारों यानि योनी संबंधी रोगों में आराम मिलता है।
लूज वैजाइना को टाइट करें जूही का फूल
जूही के पुष्पों को पीसकर योनि या वैजाइना पर लेप करने से योनि की शिथिलता , योनिदाह या वैजाइना में जलन या वैजाइना के दुर्गंध से छुटकारा मिलती है।
फटे एड़ियों में फायदेमंद जूही के फूल
अगर ज्यादा गर्मी और सर्दी के मौसम में पैर की एड़ियां हर बार फटकर बिवाईयां निकलती हैं तो जूही के पत्तों को पीसकर पैरों में लगाने से बिवाई मिटती है।
दाद के खुजली से दिलाये राहत जूही के फूल
जूही की मूल तथा पत्तों को पीसकर लगाने से त्वचागत रोगों, विशेषकर दाद तथा कण्डु या खुजली में अति लाभ होता है।
रक्तपित्त को करे कम जूही का फूल
परवल, श्लेष्मातक, चौपतिया, जूही वट के अंकुर तथा निर्गुण्डी पत्ते के साग को घी से बना कर तथा आँवला व दाड़िम रस मिलाकर सेवन करने से रक्तपित्त में लाभ होता है।
क्षतक्षीण (कटना-छिलना) को करे कम जूही के फूल
जूही के पुष्पों को पीसकर उसमें मिश्री मिलाकर सेवन करने से क्षतक्षीण यानि सामान्य कटने छिलने पर घाव को ठीक करने में लाभ होता है।
जूही का उपयोगी भाग
आयुर्वेद में जूही के फूल के जड़, फूल एवं पत्ते का प्रयोग औषधि के लिए सबसे ज्यादा किया जाता है।