टी-ट्री (Tea Tree) ऑयल के फायदे एवं नुकसान

मूत्राशय में संक्रमणः मूत्राशय में संक्रमण यानी ब्लैडर में इंफेक्शन के उपचार में टी ट्री (Tea Tree) काफी लाभकारी होता है। आमतौर पर मूत्राशय में बैक्टीरियल इंफेक्शन होने के कारण मूत्राशय में इंफेक्शन की समस्या होती है। इसके अलावा कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण भी इसकी समस्या हो सकती है। ऐसे में इसके उपचार के लिए इसका इस्तेमाल करना लाभकारी होता है। इसके तेल में एंटीबायोटिक और एंटीमाइक्रोबियल के गुण होते जाते हैं जो ब्लैडर इंफेक्शन के उपचार में कारगर होता है।
इसके अलावा टी ट्री (Tea Tree) ऑयल को निम्न बिमारियों के इलाज में भी इस्तेमाल किया जाता है –
- मुंहासे
- नाखून में फंगल इंफेक्शन
- सिर में जूं हो जाना
- खुजली
- दाद
- जलने कटने या घाव का घरेलू उपचार
- कीड़े के काटने या डंक मारने पर
- फोड़े होने पर
- दाद लैबियालिस
- दांतो में दर्द
- पैरों पर दाद
- नाक या मुंह का इंफेक्शन
- गले में खराश
- कान का इंफेक्शन
एंटीबेक्टीरियल गुणों से भरपूर
कई वर्षों से त्वचा रोगों के इलाज के लिए हीलिंग ट्रीटमेंट के तौर पर इस तेल का इस्तेमाल किया जाता रहा है। आज कई बीमारियों के इलाज में इसका प्रयोग किया जाता है। टी ट्री ऑयल को इसके एंटीबेक्टीरियल प्रभाव के लिए जाना जाता है। कुछ रिसर्च में बताया गया है कि इस तेल से संबंधित एंटीमाइक्रोबियल प्रभाव में बेक्टीरिया की कोशिकाओं को क्षति पहुंचाने में असरकारी पाया गया है। हालांकि, इस संदर्भ में अभी और रिसर्च किए जाने की जरूरत है।
एंटीइंफलामेट्री होता है टी ट्री ऑइल
टी ट्री ऑइल में टेरपिनेन-4-ओल उच्च मात्रा में होता है जो सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। इस यौगिक में एंटी-इंफलामेट्री गुण होते हैं। पशुओं पर किए गए अध्ययन में टेरपिनेन-4-ओल को मुंह में इंफेक्शन के मामले में सूजन को रोकने में फायदेमंद पाया गया है। मनुष्य में टी ट्री ऑइल को लगाने से हिस्टामिन की वजह से स्किन में सूजन को कम करने में प्रभावशाली देखा गया है।
एंटीफंगल है ऑइल
टी ट्री ऑइल में यीस्ट और फंगी को मारने में असरकारी पाया गया है। अधिकतर अध्ययन यौन अंगों, गले और मुंह, स्किन को प्रभावित करने वाले कैन्डिडा एलबिकन पर आधारित थे। अन्य रिसर्च के मुताबिक टेरीफेन-4-ओल फ्लूकानाजोल के प्रभाव को बढ़ाने में मददगार पाया गया। यह एक आम एंटीफंगल दवा है जिसका इस्तेमाल कैन्डिडा एलबिकन पर किया जाता है।
एक्ने हो दूर
नेशनल सेंटर फोर कॉमपलीमेंट्री एंड इन्टीग्रेटीव हेल्थ के अनुसार मनुष्यों पर टी ट्री ऑइल के प्रभाव को लेकर रिसर्च बहुत कम की गई है। हालांकि, इस तेल से कई प्रकार की त्वचा संबंधी समस्याओं के इलाज में उपयोगी पाया गया है। एक्ने सबसे आम त्वचा समस्याओं में से एक है। एक अध्ययन में प्रतिभागियों को ऐक्ने के इलाज के लिए टी ट्री ऑइल और प्लेसिबो दिया गया। टी ट्री ऑइल से इलाज लेने वाले लोगों में दाने भी कम हुए और इनकी गंभीरता में भी कमी आई।
एथलीट फुट
टी ट्री ऑइल क्रीम लगाने से एथलीट फुट और टिनिया पेडिस के लक्षणों में कमी आ सकती है। एथलीट फुट के लक्षणों को कम करने में टी ट्री ऑइल को 10 फीसदी असरकारी पाया गया है जबकि एंटीफंगल दवा टोलनअफटेट को 1 फीसदी प्रभावशाली पाया गया। हालांकि, पूरे इलाज के लिए टी ट्री ऑइल प्लेसिबो से ज्यादा असरकारी नहीं था। जिन लोगों ने 50 फीसदी उपचार के तौर पर टी ट्री ऑइल लगाया था, उन्हें 68 फीसदी राहत मिली और पूरे इलाज का प्रतिशत 64 था जबकि प्लेसिबो वाले ग्रुप में यह प्रतिशत दोगुना था।
डैन्ड्रफ से छुटकारा
ईस्ट पिटीरोस्पोरम ओवेल की वजह से होने वाले डैन्ड्रफ में टी ट्री ऑइल को 5 फीसदी असरकारी पाया गया है। डैन्ड्रफ से ग्रस्त जिन लोगों ने 4 सप्ताह तक 5 फीसदी टी ट्री ऑइल युक्त शैम्पू का इस्तेमाल किया उन्हें सिर में खुजली और चिपचिपेपन से राहत मिली। यह प्रभाव प्लेसिबो की तुलना में ज्यादा था। प्रतिभागियों को कोई साइड इफेक्ट नहीं हुआ। एक अन्य अध्ययन में टी ट्री ऑइल के शैम्पू को बच्चों में क्रेडल कैप के इलाज में असरकारी देखा गया।
जुओं से छुटकारा
जुएं खत्म करने के लिए कोई मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं है इसलिए विशेषज्ञ भी विकल्प के तौर पर एसेंशियल ऑइल को महत्व देते हैं। कुछ एसेंशियल ऑइल्स में नेरोलीडोल पाया जाता है। टी ट्री ऑइल और नेरोलीडोल की जुओं पर प्रभाव की तुलना करने के लिए एक रिसर्च की गई। इसमे टी ट्री ऑइल को जुओं पर ज्यादा प्रभावशाली पाया गया। 30 मिनट में ही टी ट्री ऑइल ने 100 फीसदी जुओं को खत्म कर दिया जबकि नेरोलीडोल जुओं के अंडों यानि लीखों को खत्म करने में तेज था। यदि 1:2 के अनुपात में टी ट्री ऑइल और नेरोलीडोल को मिलाकर लगाया जाए तो इससे जुएं और अंडे दोनों को खत्म किया जा सकता है।