सूर्य मुद्रा
यह मुद्रा सुबह के समय किया जाना चाहिये, जिससे सूर्य की उर्जा आपके शरीर में समा सके।
- सूर्य मुद्रा करने के लिए सबसे पहले तो सिद्धासन, पदमासन या सुखासन में बैठ जाएँ।
- अब दोनों हाँथ घुटनों पर रख लें और हथेलियाँ उपर की तरफ रहें।
- अब सबसे पहले अनामिका उंगली को मोड़कर अंगूठे की जड़ में लगा लें एवं उपर अंगूठे से हल्का सा दबाये।
- बाकी बची हुई तीनों उंगलियों को बिल्कुल सीधी रहने दे।
- इस तरह बनने वाली मुद्रा को अग्नि / सूर्य मुद्रा कहते है।
- सूर्य मुद्रा को दिन में दो बार 15 मिनट करने से कोलेस्ट्राल घटता है।
- शरीर की सूजन दूर करने में भी यह मुद्रा लाभप्रद है।
- सूर्य मुद्रा करने से पेट के रोग नष्ट हो जाते हैं।
- इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से मानसिक तनाव दूर होता है और भय, शोक खत्म हो जाते है।
- यह मुद्रा खाली पेट करनी चाहिए।
- गर्मी के मौसम में इसे ज्यादा देर तक न करें।
- दुर्बल कमजोर व्यक्ति यह मुद्रा न करें।
- उच्च रक्तचाप वाले भी इसे कम ही करें। परन्तु निम्नरक्तचाप में बहुत लाभदायक है।
- शरीर में कमजोरी आने पर सूर्य मुद्रा नहीं करनी चाहिये।
- गर्मियों में यह मुद्रा कम करनी चाहिये।
- अम्लपित्त और एसिडिटी की समस्या होने पर यह मुद्रा ना करें।