4 वेद और 3 देव का जो अर्थ है वही गायत्री मंत्र है, पढ़ें विशेष लेख

4 वेद और 3 देव का जो अर्थ है वही गायत्री मंत्र है, पढ़ें विशेष लेख

"गायत्री वेदजननी गायत्री पापनाशिनी।"

1. गायत्री मंत्र: वेदों का सार

गायत्री वेदों की जननी है। गायत्री पापों का नाश करने वाली है। गायत्री से अन्य कोई पवित्र करने वाला मंत्र स्वर्ग और पृथ्वी पर नहीं है।

सृष्टिकर्ता ब्रह्मा से लेकर आधुनिककाल तक ऋषि-मुनियों, साधु-महात्माओं और अपना कल्याण चाहने वाले मनुष्यों ने गायत्री मंत्र का आश्रय लिया है। यह मंत्र यजुर्वेद व सामवेद में आया है लेकिन सभी वेदों में किसी-न-किसी संदर्भ में इसका बार-बार उल्लेख है। स्वामी करपात्री जी के शब्दों में गायत्री मंत्र का जो अभिप्राय है वही वेदों का अर्थ है।

2. "गायत्री" शब्द का शाब्दिक और दार्शनिक अर्थ

"गायत्त्रायते" अर्थात गाया गया मंत्र जो त्राण करता है। गायत्री छंद में रचा गया यह मंत्र अत्यंत प्रसिद्ध है। इसके देवता सविता हैं और ऋषि विश्वामित्र हैं।

3. गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्।

भावार्थ: हम उस दिव्य परमात्मा (सविता) का ध्यान करते हैं, जो तीनों लोकों – पृथ्वी (भूः), अंतरिक्ष (भुवः) और स्वर्ग (स्वः) में व्यापक हैं। वह हमारे बुद्धि को श्रेष्ठ कर्मों की ओर प्रेरित करें।

4. गायत्री में तीन देव

गायत्री मंत्र में त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश का सार समाहित है:

  • – ब्रह्मा का प्रतीक

  • भूर्भुवः स्वः – विष्णु का प्रतीक

  • तत् सवितुः... – शिव तत्व का बोधक

5. वेदों में गायत्री का महत्व

स्वामी करपात्री जी के अनुसार –
"गायत्री मंत्र ही वेदों का अर्थ है।"

इसलिए, गायत्री न केवल एक प्रार्थना है, बल्कि सम्पूर्ण वैदिक ज्ञान का सार है।

6. गायत्री मंत्र जप की विधि

  • प्रातःकाल: सूर्य उदय तक खड़े होकर जप करें

  • संध्याकाल: तारे दिखाई देने तक बैठकर जप करें

  • सर्वोत्तम जप संख्या: 108 बार, श्रेष्ठ 1000 बार

7. अन्य मंत्रों में गायत्री की अनिवार्यता

शास्त्रों के अनुसार:

"किसी भी मंत्र का प्रयोग करने से पूर्व गायत्री का जप अनिवार्य है। अन्यथा वह साधना निष्फल होती है।"

8. गीता में गायत्री की महिमा

भगवान श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं:
"छन्दसाम् गायत्री अहम्"
अर्थात – मैं स्वयं गायत्री छंद हूँ।

9. निष्कर्ष: गायत्री मंत्र क्यों जपें?

गायत्री मंत्र:

  • अंत:करण की शुद्धि करता है

  • बुद्धि को प्रेरित करता है

  • ईश्वर से जोड़ता है

  • पापों का नाश करता है

इसके नियमित जप से 4 वेदों और 3 देवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह मंत्र आध्यात्मिक ज्ञान का प्रकाश है।