सप्तांश कुण्डली तथा नवाँश कुण्डली

सप्तमांश कुण्डली (D-7) क्या है?
उद्देश्य:
सप्तमांश कुण्डली का प्रयोग मुख्यतः संतान संबंधी विषयों के विश्लेषण के लिए किया जाता है।
निर्माण विधि:
एक राशि के 30 अंश को 7 समान भागों में बाँटकर सप्तमांश बनाए जाते हैं।
गणना का नियम:
- जो ग्रह विषम राशि (जैसे: मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु, कुम्भ) में स्थित हो, उसकी सप्तमांश गणना उसी राशि से आरम्भ होती है।
- जो ग्रह सम राशि (जैसे: वृष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर, मीन) में स्थित हो, उसकी गणना उस राशि से सातवीं राशि से शुरू होती है।
उदाहरण:
अगर कोई ग्रह वृष राशि (सम राशि) में है और वह तीसरे सप्तमांश में आता है, तो गिनती वृष से सातवीं राशि यानी वृश्चिक से की जाएगी। वृश्चिक से तीसरी राशि मकर होती है, अतः सप्तमांश कुण्डली में वह ग्रह मकर राशि में स्थित होगा।
30 अंश के सात भाग:
- 0° – 4°17’08’’ = पहला सप्तमांश
- 4°17’08’’ – 8°34’16’’ = दूसरा सप्तमांश
- 8°34’16’’ – 12°51’24’’ = तीसरा सप्तमांश
- 12°51’24’’ – 17°08’32’’ = चौथा सप्तमांश
- 17°08’32’’ – 21°25’40’’ = पाँचवाँ सप्तमांश
- 21°25’40’’ – 25°42’48’’ = छठा सप्तमांश
- 25°42’48’’ – 30°00’00’’ = सातवाँ सप्तमांश
नवांश कुण्डली (D-9) क्या है?
महत्त्व:
नवांश कुण्डली, जन्म कुण्डली के बाद सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसका प्रयोग वैवाहिक जीवन, भाग्य, धर्म, और व्यक्ति के चरित्र एवं आंतरिक विकास के विश्लेषण में किया जाता है।
ग्रह-तत्व के आधार पर गिनती आरंभ:
तत्व | राशि | गणना आरंभ |
---|---|---|
अग्नि तत्व | मेष, सिंह, धनु | मेष से |
पृथ्वी तत्व | वृष, कन्या, मकर | मकर से |
वायु तत्व | मिथुन, तुला, कुम्भ | तुला से |
जल तत्व | कर्क, वृश्चिक, मीन | कर्क से |
30 अंश के 9 भाग (नवांश):
- 0° – 3°20’ = पहला नवांश
- 3°20’ – 6°40’ = दूसरा नवांश
- 6°40’ – 10°00’ = तीसरा नवांश
- 10°00’ – 13°20’ = चौथा नवांश
- 13°20’ – 16°40’ = पाँचवाँ नवांश
- 16°40’ – 20°00’ = छठा नवांश
- 20°00’ – 23°20’ = सातवाँ नवांश
- 23°20’ – 26°40’ = आठवाँ नवांश
- 26°40’ – 30°00’ = नौवाँ नवांश
नवांश कुण्डली बनाने की विधि:
- सबसे पहले ग्रह जिस राशि में है, वह किस तत्व की है, यह देखें।
- उस तत्व के अनुसार उपयुक्त आरंभ राशि से गिनती आरम्भ करें।
- ग्रह के अंशों के अनुसार वह किस नवांश में आता है, यह निर्धारित करें।
- गिनती करते हुए नवांश राशि ज्ञात करें और ग्रह को उसमें स्थापित करें।
उदाहरण:
यदि चन्द्रमा जन्म कुण्डली में धनु राशि (अग्नि तत्व) में 15 अंश पर स्थित है:
- धनु राशि अग्नि तत्व की है, इसलिए गिनती मेष से शुरू होगी।
- 15 अंश छठे नवांश में आता है।
- मेष से छठी राशि होती है कन्या, इसलिए नवांश कुण्डली में चन्द्रमा कन्या राशि में होगा।