सफेद मूसली के फायदे, गुण, लाभ, नुकसान, खाने का तरीका

सफेद मूसली एक प्राकृतिक कामोद्दीपक (सेक्स की इच्छा को बढ़ावा देता है) है और सेक्स ड्राइव बढ़ाने और यौन कमजोरी को दूर करने में काफी उपयोगी है। यह यौन अंगों (sexual organs) को जवान व स्वस्थ रखता है तथा अच्छे शुक्राणुओं (sperms) के उत्पादन को बढ़ाता है। यह मनुष्य के शरीर को यौन शक्ति की धारा से प्रवाहित कर यौन अनुभव (sexual experience) को यादगार बना देता है |
यह शीघ्रपतन, अल्पशुक्राणुता (Oligospermia) और लिंग में तनाव की कमी (erectile dysfunction) के उपचार में भी प्रयोग किया जाता है। यह वीर्य उत्पादन (semen production) की मात्रा और गुणवत्ता में भी सुधार लाता है।इस तरह यह नपुंसकता का भी अच्छा इलाज है।
गर्भधारा के लिए शुक्राणु बहुत ज़रूरी है। अंडे को फर्टिलाइज़ करने के लिए स्पर्म का अधिक मात्रा में होना बहुत ज़रूरी है। अगर शुक्राणु कम मात्रा में उपस्थित हैं तो गर्भधारा में समस्या हो सकती है। सफ़ेद मूसली से अल्पशुक्राणुता (oligospermia) की समस्या ठीक हो जाती है। इससे शुक्राणु की मात्रा बढ़ती है, वीर्य का तरल होने का समय बढ़ता है, शुक्राणु की गतिशीलता बढ़ती है और टेस्टेस्टेरोन वीर्य का स्तर बढ़ता है।
सफ़ेद मूसली खाने से समय से पहले लिंग में तनाव की कमी नहीं होती। सफ़ेद मूसली खाने से आपके लिंग ऊतकों को शक्ति मिलती है। इससे लिंग ज़्यादा समय तक खड़ा रह सकता है और ज़्यादा सख्त भी हो सकता है। इससे शुक्राणु ज़्यादा बनना शुरू हो जाते हैं और शरीर में हार्मोनल संतुलित रहता है।
बांझपन का आयुर्वेदिक उपचार है सफेद मूसली
बांझपन एक औरत या फिर पुरुष के लिए किसी श्राप से कम नहीं होता है। सफेद मुसली प्राचीन युग से ही इस श्राप को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह बांझपन के कारणोंया यौन विकारों (sexual disorders) को जड़ से मिटा देता है और गर्भ धारण में सहायता करता है।
सफेद मूसली के गुण गर्भावस्था के लिए
सफेद मुसली एक प्रबल पोषक टॉनिक है और गर्भावस्था के दौरान जच्चा और बच्चा दोनों को ही सेहतमंद रखता है। यह गर्भावस्था के बाद भी अत्यंत फलप्रद है और माँ को सारे खोए हुए तत्व एवं धातुओं को लौटा कर उसके शरीर को फुर्ती से भर देता है। यह स्तन के दूध के उत्पादन की मात्रा और गुणवत्ता में भी सुधार लाता है।
सफ़ेद मूसली माँ के शरीर में दूध बनाने में मदद करती है। अगर इसे अन्य औषधियों जैसे, गन्ने से मिलने वाली ब्राउन शुगर या जीरे के साथ लें तो ये दूध का बनना अधिक मात्रा में बढ़ा देती है। ये स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद है।
सफेद मूसली का लाभ है सशक्त प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए
यह एक शक्तिशाली ऊर्जावर्धक है और आदिकाल से ही प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) को मज़बूत एवं सुदृढ़ बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसका प्रयोग ज़्यादातर दमाके रोगी प्रतिरक्षा प्रणाली को सशक्त बनाने के लिए किया जाता है।
सफेद मूसली का उपयोग मधुमेह के लिए
सफेद मुसली मधुमेहका भी एक प्रभावी उपचार है। यह इंसुलिन (insulin) के उत्पादन कोबढ़ाता है और मधुमेह को नियंत्रण में रखता है। इससे मधुमेह ग्रस्त व्यक्तियों को सेक्स करने में आसानी होती है।
सफ़ेद मूसली में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं। ये शरीर में ग्लूकोज को कम करती है और डायबिटीज कम करने में बहुत सहायक है।
अगर आप कमज़ोर, पतला या सामान्य से कम वजन के हैं तो आपको दिन में दो बार दूधके साथ आधा चम्मच सफ़ेद मूसली लेनी चाहिए। आप इसे कैप्सूल की तरह भी खा सकते हैं। इससे आपका ब्लड शुगर स्तर भी संतुलित होगा।
सफेद मूसली का फायदा है मोटापा घटाने में
सफेद मूसली फालतू वसा को बाहर का रास्ता दिखता है और शरीर का मोटापाघटाने में मदद करता है।
सफेद मूसली का रपयोग करें श्वेत प्रदर रोग में
श्वेत प्रदर स्त्रियों में एक बहुत ही आम विकार है जिसमें उनकी योनि से सफेद व बदबूदार द्रव निकलता है। सफेद मूसली श्वेत प्रदर से राहत दिलाने में सहायक है, चाहे वो सालों पुराना ही क्यूँ ना हो।
सफेद मूसली के अन्य लाभ
सफेद मूसली असरदार औषधीय पौधों में से एक है, जिसने हजारों सालों से मानव जाति को लाभान्वित किया है। विभिन्न बीमारियों का इलाज करने और शरीर को पुनः स्वस्थ करने के लिए की जाने वाली चिकित्सा प्रणाली में सफेद मूसली का व्यापक उपयोग किया जाता है। यह औषधि बांझपन, शीघ्रपतन, वीर्य में शुक्राणुओं की कमी स्तंभन दोष, नपुंसकता और स्त्रियों के यौन रोग जैसी बीमारियों के इलाज के एक अच्छे विकल्प के रूप में कार्य करती है। यह स्त्रियों के मासिक धर्म चक्र को नियमित करने में फायदेमंद साबित होती है और ल्यूकोरिया (योनि से सफेद पानी निकलना) को रोकती है। वजन और मधुमेह को नियंत्रित करने में भी सफेद मूसली प्रभावकारी साबित होती है। इस जड़ी-बूटी का उपयोग करें और मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली रुपी ढाल से अपने शरीर को रोगों और संक्रमणों से सुरक्षित रखें। इच्छित प्रभाव के लिए आप इसे सफेद मूसली पाउडर, कैप्सूल और सिरप के रूप में उपयोग कर सकते हैं।
सफेद मूसली के नुकसान
सफेद मूसली का सेवन बिलकुल सुरक्षित है और इसके कोई दुष्प्रभाव नहीं है किंतु फिर भी इसके ज़्यादा प्रयोग से बचना चाहिए। इसका ज़्यादा सेवन करने से पाचन शक्ति पर असर पड़ सकता है और उससे संबंधित रोग शरीर को अपना घर बना सकते है। आमतौर पर 10-15 ग्राम सफेद मुसली का सेवन प्रतिदिन किया जा सकता है।सफेद मुसली का सेवनसफेद मुसलीकॅप्सुल, सिरप, चूर्णके रूप मेंभी किया जा सकता है।
सफेद मूसली खाने की विधि और तरीका
- सफेद मूसली खाने की खुराक हर व्यक्ति में उम्र, शरीर, मजबूती और भूख पर निर्भर करती है। अगर मूसली की मात्रा से आपकी भूख पर प्रभाव पड़ता है तो फिर उसकी खुराक लेने की मात्रा को कम कर दें।
- बच्चों के लिए - 25 से 50 मिलीग्राम प्रति किलो वजन के अनुसार (लेकिन बच्चों को एक बार में 1 ग्राम से अधिक न दें)
- किशोर (13 -19 वर्ष) - 1.5 से 2 ग्राम सफेद मूसली का सेवन करें।
- वयस्क (19 से 60 वर्ष) - 3 से 6 ग्राम सफेद मूसली खाएं।
- वृद्धावस्था (60 वर्ष से ऊपर) - 2 से 3 ग्राम बूढ़े लोगों को सफेद मूसली का सेवन करना चाहिए।
- गर्भावस्था - 1 से 2 ग्राम सफेद मूसली गर्भावस्था में महिलाओं को खानी चाहिए |
- स्तनपान करा रही महिला - 1 से 2 ग्राम सफेद मूसली स्तनपान कराने वाली महिलाओं को खानी चाहिए।
- अधिकतम डोज - प्रति दिन 12 ग्राम (अलग-अलग खुराकों में)।
- आप सफेद मूसली को सुबह और शाम खाना खाने के दो घंटे बाद गुनगुने दूध के साथ लें। पूरे दिन में दो बार आपको सफेद मूसली का सेवन करना है। अगर आपको इसके सेवन से भूख में कमी लगती है तो इसकी खुराक को थोड़ा कम कर दें। इसकी उतनी ही मात्रा लें जितना आपसे पच सके।
सफ़ेद मूसली की पहचान
सफ़ेद मूसली एक औषधी है जिसके पत्ते थोड़े खड़े होते हैं और इनकी जड़ें ट्यूब केआकार की होती हैं। ये 1.5 फ़ीट की ऊंचाई के होते हैं। इनकी जड़ें 10 इंच तक ज़मीन में जा सकती हैं। इस पौधे में लम्बी, पतली और चिकनी पत्तियां होती हैं। इसके फूल छोटे और सफ़ेद रंग के होते हैं। पत्तियां थोड़ी पीली होती हैं। इसके फूलों में 6 पंखुड़ियां होती हैं जो पौधे के बीच में से निकल रहे तनेपर लगे होते हैं। एक तने पर 20-25 फूल जुलाई के महीने में दिख जाते हैं। इसका बीज बहुत छोटा और काले रंग का होता है। इसके बीज में छेदहोते हैं जिस कारण ये वजन में हलके होते हैं।