सौरमण्डल में ग्रह चलते कैसे हैं? जानिए ज्योतिष की ज़बान मे

सौरमण्डल में ग्रह चलते कैसे हैं? जानिए ज्योतिष की ज़बान मे

सौरमण्डल और ग्रहों की ज्योतिषीय अवस्थाएँ

ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के विभिन्न अवस्थाओं — जैसे वक्री, मार्गी, अतिचारी, मंदगामी, अस्त, स्तंभित — का विश्लेषण अत्यंत आवश्यक है। आइए इन शब्दों का अर्थ विस्तार से समझें:

1. वक्री ग्रह:

जब कोई ग्रह सूर्य से पाँचवें से नवम भाव तक गोचर करता है, तब वह वक्री अवस्था में माना जाता है।
वक्री का अर्थ होता है "उल्टी दिशा में चलना", लेकिन वास्तव में ग्रह उल्टा नहीं चलता। यह केवल पृथ्वी से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है, जैसे दो रेलगाड़ियाँ चल रही हों – एक धीमी और एक तेज़; धीमी गाड़ी को तेज़ गाड़ी के सापेक्ष पीछे जाती हुई प्रतीत होती है।

विशेष: राहु और केतु सदैव वक्री रहते हैं।

2. मार्गी ग्रह:

जब कोई ग्रह अपनी सामान्य दिशा में सीधे चलता है, तो उसे मार्गी ग्रह कहा जाता है।

विशेष: सूर्य और चन्द्रमा सदैव मार्गी रहते हैं।

3. अतिचारी ग्रह:

जब कोई ग्रह अपनी सामान्य गति से अधिक तेज गति से चलता है, तो वह अतिचारी ग्रह कहलाता है।
विशेषतः बाहरी ग्रह सूर्य के साथ आने पर अतिचारी हो जाते हैं।

4. मंदगामी ग्रह:

जब कोई ग्रह अपनी सामान्य गति से धीमी गति में चलता है, तो वह मंदगामी कहलाता है।

5. स्तंभित (भीत) अवस्था:

जब कोई ग्रह मार्गी से वक्री या वक्री से मार्गी होने की अवस्था में आता है, तो वह कुछ समय के लिए लगभग स्थिर दिखाई देता है।
इस स्थिति को स्तंभित या भीत अवस्था कहा जाता है।
भीत का अर्थ है — डर के कारण स्थिर हो जाना।

6. अस्त ग्रह:

जब कोई ग्रह सूर्य के बहुत निकट आ जाता है, तो वह अस्त हो जाता है — यानी उसका बल क्षीण हो जाता है।
प्रत्येक ग्रह के लिए सूर्य से एक निश्चित अंश के भीतर आने पर वह अस्त माना जाता है:

ग्रहों के अस्त होने की स्थितियाँ:

ग्रह सूर्य से कितनी दूरी पर अस्त होता है
चन्द्रमा 12 अंश के भीतर
मंगल 17 अंश के भीतर
बुध 13 अंश (वक्री होने पर 12 अंश)
गुरु 11 अंश के भीतर
शुक्र 9 अंश (मतांतर से 10; वक्री पर 8)
शनि 15 अंश के भीतर

सूर्य की राशियों में स्थिति (वार्षिक गोचर)

सूर्य हर एक राशि में लगभग एक माह तक रहता है और बारह राशियों का भ्रमण करता है। प्रत्येक वर्ष की अनुमानित अवधि इस प्रकार है:

अवधि सूर्य की राशि
14 अप्रैल – 14 मई मेष
14 मई – 15 जून वृष
15 जून – 15 जुलाई मिथुन
15 जुलाई – 16 अगस्त कर्क
16 अगस्त – 16 सितम्बर सिंह
16 सितम्बर – 17 अक्तूबर कन्या
17 अक्तूबर – 15 नवम्बर तुला
15 नवम्बर – 14 दिसम्बर वृश्चिक
14 दिसम्बर – 14 जनवरी धनु
14 जनवरी – 13 फरवरी मकर
13 फरवरी – 15 मार्च कुम्भ
15 मार्च – 14 अप्रैल मीन

सौर मास और सूर्य की राशि स्थिति

जब सूर्य किसी विशेष राशि में स्थित होता है, तो उस माह को सौर मास के रूप में जाना जाता है। नीचे सूर्य की राशि अनुसार मासों के नाम दिए गए हैं:

सूर्य की राशि सौर मास का नाम
मेष बैसाख
वृष ज्येष्ठ
मिथुन आषाढ़
कर्क श्रावण
सिंह भाद्रपद
कन्या आश्विन
तुला कार्तिक
वृश्चिक मार्गशीर्ष
धनु पौष
मकर माघ
कुम्भ फाल्गुन
मीन चैत्र