फायदे के लिए पी रहे हैं तांबे के बर्तन में पानी? नुकसान भी जान लीजिए

फायदे के लिए पी रहे हैं तांबे के बर्तन में पानी? नुकसान भी जान लीजिए

तांबे के बर्तन भारतीय परंपरा और आयुर्वेद दोनों में विशेष स्थान रखते हैं। वर्षों से ताम्रपात्रों का उपयोग पूजा, चिकित्सा और दैनिक जीवन में होता रहा है। आजकल फिर से तांबे के बर्तनों में पानी पीने की परंपरा लोकप्रिय हो रही है, क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि गलत तरीके से तांबे के बर्तन में पानी पीना स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है? आइए जानते हैं तांबे के बर्तन से जुड़ी उपयोगी जानकारी — फायदे और सावधानियां दोनों के साथ।

तांबे के बर्तन: गुणों की खान

1. प्राकृतिक कीटाणुनाशक

तांबा एक प्राकृतिक एंटी-बैक्टीरियल धातु है। ताम्रपात्र में रखा जल शरीर से विषाक्त तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है। यह पाचन में सहायक होता है और पेट संबंधी रोगों जैसे एसिडिटी, गैस, अल्सर, अपच आदि में राहत देता है।

2. शरीर में तांबे की पूर्ति

हमारे शरीर में तांबे की मात्रा अत्यंत सूक्ष्म होती है, लेकिन इसकी आवश्यकता निरंतर बनी रहती है। भोजन से यह पर्याप्त रूप में नहीं मिल पाता। ऐसे में तांबे के बर्तन में रखा पानी एक सरल और प्राकृतिक उपाय है।

3. त्वचा और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए लाभकारी

तांबे की कमी से त्वचा पर चकत्ते, संक्रमण और सनस्ट्रोक जैसी समस्याएं हो सकती हैं। तांबे के पात्र में रखा जल इन समस्याओं से बचाने में सहायक होता है।

4. मानसिक तनाव में राहत

ताम्रपात्र में रखा जल "आवेशित जल" होता है — इसका तात्पर्य है कि इसमें सकारात्मक ऊर्जा संचारित होती है। ऐसे जल का सेवन मानसिक तनाव को कम करता है और ऊर्जा का संचार करता है।

5. दीर्घकालिक जल शुद्धि

अन्य धातु के पात्रों में जल लंबे समय तक शुद्ध नहीं रह सकता, लेकिन तांबे के बर्तन में जल प्राकृतिक रूप से शुद्ध रहता है। इसमें विषाणु और जीवाणु पनप नहीं सकते। यही कारण है कि पूजा में चरणामृत भी ताम्र पात्र में रखा जाता है।

6. ऊर्जा और धार्मिक महत्त्व

धार्मिक दृष्टिकोण से तांबा ऊर्जा का संवाहक माना गया है। तांबे के पात्रों से मंत्रों की शक्ति का प्रसार अधिक प्रभावी होता है। यह आधुनिक विज्ञान द्वारा भी स्वीकार किया जा चुका है कि तांबा विद्युत और ऊर्जा के प्रवाह में सहायक है।

लेकिन सावधान! तांबे के बर्तन का गलत प्रयोग न करें

तांबे के लाभ तभी मिलते हैं जब इसका सही ढंग से उपयोग किया जाए। यदि सावधानी न रखी जाए, तो यह हानिकारक भी बन सकता है।

1. ताम्रपात्र को कभी जमीन पर न रखें

तांबे का पात्र यदि सीधे जमीन पर रखा जाए, तो उसमें संचित ऊर्जा समाप्त हो जाती है और उसका कोई लाभ नहीं मिलता।

2. सफाई का रखें विशेष ध्यान

तांबे के बर्तन के अंदर कॉपर ऑक्साइड (हरे रंग की परत) जम जाती है। यह शरीर के लिए हानिकारक हो सकती है। इसलिए नियमित रूप से नींबू, नमक या इमली के पानी से इसकी सफाई करनी चाहिए।

3. खट्टे और अम्लीय पदार्थ न रखें

तांबे के बर्तन में कभी भी नींबू, दही, छाछ, इमली जैसे अम्लीय पदार्थ नहीं रखने चाहिए, क्योंकि इनके कारण रासायनिक प्रतिक्रिया होती है, जिससे विषैले तत्व उत्पन्न हो सकते हैं।

4. पुराने और जंग लगे बर्तन न करें इस्तेमाल

यदि बर्तन में जंग या गाढ़े हरे निशान दिखाई दें तो उसका प्रयोग बंद कर देना चाहिए। यह शरीर में विषैले तत्व पहुंचा सकता है।

कैसे करें तांबे के बर्तन का सही उपयोग?

  • हर रात तांबे के बर्तन में पानी भरकर रखें और सुबह खाली पेट पिएं।

  • जल भरने से पहले और पीने के बाद बर्तन को अच्छी तरह से धोना न भूलें।

  • उपयोग के लिए केवल शुद्ध तांबे के बर्तन ही लें, जो अंदर से स्टील या टिन की परत से रहित हों।

  • तांबे के बर्तन में जल रखने का समय 6 से 8 घंटे से अधिक न हो।

निष्कर्ष

तांबे का बर्तन एक वरदान है, यदि उसका सही ढंग से उपयोग किया जाए। यह न केवल शरीर को स्वस्थ रखता है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर भी संतुलन प्रदान करता है।

लेकिन अज्ञानवश किया गया प्रयोग लाभ के स्थान पर हानिकारक भी सिद्ध हो सकता है। अतः इसके लाभों का अनुभव तभी होगा जब इसका प्रयोग सावधानी और समझदारी से किया जाए।