पंचनिम्बादि वटी

उपयोग
पंचनिम्बादि वटी का प्रयोग मुख्य रूप से ग्रीष्म और वर्षा ऋतु में होने वाले चर्म रोगों जैसे दाद, खाज-खुजली, एक्जीमा (सूखा या गीला), त्वचा में जलन, चकत्ते, काले धब्बे आदि में लाभप्रद होता है।
घटक द्रव्य
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पंचनिम्ब चूर्ण – 100 ग्राम
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गंधक रसायन – 100 ग्राम
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व्याधिहरण रसायन – 25 ग्राम
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प्रवालपिष्टी – 50 ग्राम
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आरोग्यवर्द्धिनी वटी – 50 ग्राम
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रजत भस्म – 10 ग्राम
भावना द्रव्य:
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सारिवा, मंजिष्ठा, चोपचीनी – 100-100 ग्राम
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वायविडंग, भृंगराज, खैर, कचनार – 50-50 ग्राम
निर्माण विधि
भावना द्रव्यों को जौकुट कर दो लीटर पानी में उबालें। जब पानी 250 ग्राम रह जाए तो छान लें। इस पानी को अन्य द्रव्यों के साथ मिलाकर खरल में अच्छी तरह पीस लें। मटर के आकार की गोलियाँ बनाकर सुखा लें।
मात्रा
सुबह और शाम पानी के साथ 2-2 गोली लें।
लाभ
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रक्त विकार दूर करके चर्म रोग नष्ट करती है।
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त्वचा की खुजली पैदा करने वाले कीटाणुओं को पोषण बंद कर उनका विनाश करती है।
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एक्जीमा (सूखा या गीला) में प्रभावी।
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कुष्ठ, भंगदर, श्लीपद, वातरक्त, नाड़ी व्रण, प्रमेह, सिर दर्द, मेदवृद्धि (मोटापा) जैसे रोगों में लाभकारी।
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शीतपित्ती और एलर्जी में भी उपयोगी।
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सोरायसिस जैसे कठिन रोगों में भी सहायक।
परहेज
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मांसाहार, शराब, तेज मिर्च-मसाले, कच्चा दूध, भारी चिकने पदार्थों का सेवन न करें।
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शकर, चावल, गाय का घी, केला, सेन्धा नमक, हल्के सुपाच्य भोजन करें।
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नमक, खट्टे पदार्थ, अरहर की दाल, अधिक चाय-कॉफी, बीड़ी-सिगरेट, और तेज धूप से बचें।
नोट: परहेज का पालन करते हुए और निर्धारित मात्रा में सेवन करने पर यह वटी चर्म रोगों में धीरे-धीरे आराम प्रदान करती है।