गायत्री मंत्र का महत्व, जाप, और महिलाओं के लिए इसका महत्व

गायत्री मंत्र मानव जीवन की सबसे बड़ी प्रार्थनाओं में से एक है। यह मंत्र हमें तीन प्रकार के दुखों से उबारने का वरदान देता है।
क्या है गायत्री मंत्र का अर्थ?
‘गायत्री’ शब्द तीन भागों से बना है – ‘गा’, ‘य’, और ‘त्री’। इसका मतलब है - जीवन के तीन स्तरों से ऊपर उठना। हमारे पास तीन शरीर होते हैं – स्थूल (शारीरिक), सूक्ष्म (मनोवैज्ञानिक), और कारण (आध्यात्मिक)। ये तीनों स्तर जीवन में दुख देते हैं। गायत्री मंत्र का जाप करने वाला व्यक्ति इन दुखों के सागर को पार कर परम आनंद की प्राप्ति करता है।
मंत्र का सार है:
“हे ईश्वर, आप मेरे अंदर व्याप्त हो जाओ। मेरे सारे पाप नष्ट करो। उस दिव्य ज्योति की मैं पूजा करता हूँ, जो सभी पापों को जलाकर नष्ट कर देती है। हे ईश्वर, मेरी बुद्धि को प्रेरणा दीजिए।”
हमारे सभी कार्य हमारी बुद्धि से होते हैं। जब बुद्धि में अच्छे विचार आते हैं, तभी हमारे कर्म सफल होते हैं। गायत्री मंत्र में हम ईश्वर से यही प्रार्थना करते हैं कि वह हमारी बुद्धि को मार्गदर्शन और प्रेरणा दे।
108 बार जाप क्यों किया जाता है?
इसका कारण है –
हमारे सौरमंडल में 9 ग्रह और 12 नक्षत्र होते हैं। ये मिलकर 108 प्रकार के प्रभाव डालते हैं। जब हम 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करते हैं, तो ये सभी प्रभाव सकारात्मक हो जाते हैं और नकारात्मक प्रभाव दूर हो जाते हैं। यह मंत्र हमें जीवन की सारी बाधाओं से मुक्त करता है।
क्या महिलाएं गायत्री मंत्र का जाप कर सकती हैं?
हाँ, बिल्कुल! कहीं भी ऐसा नहीं लिखा कि महिलाएं गायत्री मंत्र का जाप नहीं कर सकतीं।
दुर्भाग्य से, मध्ययुगीन काल में कुछ समाज ने महिलाओं से यह अधिकार छीन लिया था। माना जाता था कि अगर महिलाएं भी इस मंत्र का जाप करेंगी, तो उनमें बहुत बड़ी आध्यात्मिक शक्ति आ जाएगी, जिससे पुरुषों का वर्चस्व खतरे में पड़ सकता है। इसलिए महिलाओं को मंत्र जाप से रोका गया।
लेकिन आज के समय में, यह पुरानी गलतफहमी खत्म हो रही है। अनेक महिलाएं गायत्री मंत्र सीख रही हैं और जाप कर रही हैं। महिलाओं में भी उतनी ही शक्ति और संकल्प है, जितनी पुरुषों में।
इसलिए, गायत्री मंत्र का जाप सभी कर सकते हैं – चाहे वे पुरुष हों या महिलाएं।