पुत्रजीवक के फायदे और नुकसान

महिलाओं में बांझपन के कई कारण होते हैं, लेकिन पुत्रजीवक बीज गर्भाशय को विष रहित करने के लिए सहायक दवा के रूप में कार्य करता है जिससे यहगर्भपात को रोकने और अंडाशय के कार्यों को बेहतर बनाने में मदद करता है जो फर्टिलाइज़ेशन के लिए परिपक्व और स्वस्थ अंडों को रिलीज करने में मदद करते हैं।गर्भधारण के लिए पुत्रजीवक बीज की गिरी को दूध के साथ मासिक के दिनों में लिया जाता है। इसके अलावा पुत्रजीवक पेड़ की छाल, बिल्व (Aegle marmelos) की जड़ और मालकांगणी (Celastrus paniculatus) की जड़ को पानी में पीस कर दिन में एक बार, 2-3 सप्ताह तक लेने से गर्भवती महिला के गर्भ से होने वाला असामान्य रक्तस्राव रुक जाता है।सभी प्रकार के मासिक धर्म रोगों के लिए, बीज का गूदा और जीरा दूध में पीसकर सुबह मासिक धर्म में दिया जाता है।
आयुर्वेद के मुताबिक, यह उन महिलाओं के लिए उपयुक्त है जिनका वात दोष और पित्त दोष बढ़ा हुआ है। अगर एक महिला में एसिड रिफ्लक्स, मासिक धर्म के दौरान भारी रक्तस्राव याऐंठन, भारी गर्भाशय रक्तस्राव, सीने में जलन, नींद की कमी, मुँह में कड़वाहट, काले धब्बे, डार्क सर्कल्स, कमजोरी और ब्लोटिंगजैसे लक्षण पाए जाते हैं तो यह उनके लिए सबसे उपयुक्त है।
सामान्यतया, पुत्रजीवक बीज एंड शिवलिंगी बीज को एक साथ लेने की सलाह दी जाती है। यदि आपके पित्त दोष में वृद्धि हुई है तो शिवलिंगी आपके लिए उपयुक्त नहीं है। अगर शिवलिंगी की आवश्यकता होती है, तो शिवलिंगी को न्यूनतम और पुत्रजीवक को अधिकतम मात्रा में दूधके साथ लिया जाना चाहिए।
पुत्रजीवक बीज पाउडर है गर्भपात में उपयोगी
आयुर्वेद के अनुसार गर्भाशय की कमजोरी बार बार होने वाले गर्भपात का मुख्य कारण है। ऐसे मामलों में, गर्भाशय गर्भधारण जारी रखने में असमर्थ होता है। ऐसे मामलों के लिए पुत्रजीवक बीज सर्वश्रेष्ठ हैं। यह एक गर्भाशय टॉनिक के रूप में कार्य करते हैं, गर्भाशय की लाइनिंग्स को ताकत प्रदान करते हैं, यह गर्भाशय को गर्भावस्था को जारी रखने में सक्षम बनाते हैं, गर्भपात को रोकते हैं और एक स्वस्थ बच्चे को प्राप्त करने में मदद करते हैं। पुत्रजीवक बीज पाउडर 200 ग्राम, अश्वगंधापाउडर 200 ग्राम और मिश्री पाउडर 200 ग्राम को मिक्स करलें। लगभग 4 से 5 ग्राम पाउडर को दिन में दो बार गुनगुने दूध के साथ लें। इसका सेवन आप खाली पेट, खाने से एक घंटे या भोजन के 3 घंटे बाद कर सकते हैं।इसके अलावा पुत्रजीवक की जड़ को दूध में घिसकर पीने से गर्भ ठहरने के आसार बढ़ते हैं।
पुत्रजीवक के फायदे करें शुक्राणुओं की संख्या में सुधार
पुत्रजीवक पुरुष नपुंसकतामें भीफायदेमंद है। यह ऑलिगॉस्पर्मिया (अल्पशुक्राणुता) का इलाज करने के लिए सबसे अच्छी दवा है।
दूध के साथ 3 ग्राम पुत्रजीवक बीज पाउडर को लेने से कुल शुक्राणुओं की संख्या और गतिशीलता में सुधार होता है। यह वीर्य में स्वस्थ शुक्राणुओं की संख्या को बढ़ाता है।
पुत्रजीवक का उपयोग है कब्ज में लाभकारी
यदि मरीज को कब्ज है और कठोर और सूखे मल के कारण आँतो में दर्द हो रहा है तो पुत्रीजीवक बहुत उपयोगी होता है। ऐसे मामले में 3 ग्राम पाउडर को दिन में दो बार गर्म दूध के साथ लिया जाना चाहिए।
पुत्रजीवक औषधि ल्यूकोरिया के लिए
सफ़ेद पानी की समस्या) में पुत्रजीवक के फल का गूदा पानी और गुड़ के साथ लेते हैं।
पुत्रजीवक प्लांट गर्दन में दर्द के लिए
गर्दन में सूजन और दर्द के लिए इस पेड़ की छाल को पानी में घिस कर लगाते हैं।
जियापोता का उपयोग है जुखाम बुखार के लिए
पत्तों और फलों का काढ़ा जुखाम और बुखारमें दिया जाता है।
पुत्रजीवक साइड इफेक्ट्स
पुत्रजीवक उन व्यक्तियों के लिए सुरक्षित है जो इसका सेवन अपने डॉक्टर की सलाह के अनुसार करते हैं। यह उन रोगियों के लिए सबसे उपयुक्त है जिनको वात या पित्त दोष में उत्तेजना होती है और कफ दोष वाले लोगों के लिए यह कम उपयुक्त है। दोषों और इसके संकेतों के अनुसार समझदारी से उपयोग किए जाने पर पुत्रजीवक का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है।
विषाक्तता, एलर्जी प्रतिक्रियाओं को लेकर अभी तक इसकी कोई शिकायत नहीं मिली है।
पुत्रीजीवक संभवत:
गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान उपभोग करने के लिए सुरक्षित है। बांझपन के उपचार के लिए लेते समय अभी तक इसके कोई नुकसान सामने नहीं आए हैं।
पुत्रजीवक से बनी दवा के सेवन के दौरान तेल, खटाई, मिर्च, मसाले तथा गर्म तासीर के भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।