लाजवर्त :
लाजवर्त राहु, शनि और केतु तीनों ग्रहों को मजबूत करता है। साथ ही अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में यह नकारात्मक विद्यमान हैं तो उनके प्रभाव को दूर करता है।
रत्न शास्त्र अनुसार जिन जातकों की जन्मकुंडली में शनि सकारात्मक (उच्च) के विराजमान हो, वो लोग लाजवर्त को पहन सकते हैं। साथ ही मकर और कुंभ राशि, लग्न वाले लाजवर्त धारण कर सकते हैं। वहीं अगर कुंडली में राहु- केतु सकारात्मक (उच्च) के स्थित हों तो भी लाजवर्त पहना जा सकता है। अगर कुंडली में शनि और राहु नीच के अशुभ स्थित हों तो लाजवर्त को धारण न करें। साथ ही मंगल ग्रह भी अगर कुंडली में नकारात्मक स्थित है तो भी लाजवर्त धारण करने से बचें।
लाजवर्त धारण करने के लाभ :
धारण विधि :
लाजवर्त को शनिवार के दिन चांदी की अंगूठी या लॉकेट में बनवाकर पहनना चाहिए। इस रत्न की माला और ब्रेसलेट भी पहना जा सकता है। इसे दायें हाथ की मध्यमा उंगली में धारण करना बताया गया है।
इसे धारण करने से पहले सरसों या तिल के तेल में पांच घंटे पहले डुबोकर रखें। इसके बाद नीले कपड़े पर रखकर ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम: मंत्र की एक माला जाप करें। धूप-दीप, नैवेद्य कर इसे कपड़े से पोंछकर सूर्यास्त के बाद समय इसे धारण करें।
नियम एवं शर्तें -
1- लाजवर्त लैब द्वारा प्रमाणित रहेगा.
2- सम्पूर्ण भारत में डिलीवरी फ्री रहेगी.
3- डिलीवरी 5-7 कार्य दिवसों में होगी.