वास्तु दोष निवारण यन्त्र :
वास्तु शास्त्र में दिशाओ के ज्ञान के आधार पर किसी जगह (घर, ऑफिस ) वस्तुओ को रखने की एक नियमावली है| वास्तु दोष निवारण यन्त्र को स्थापित करके पूजा करने से घर या ऑफिस में चल रहे वास्तु दोषों में कमी आती है| आप वास्तु दोष दूर करने वाले मंत्र का भी जप करे| चीजे हमारे अनुसार होने लगती है| कभी कभी ध्यान रखने पर भी मकान या ऑफिस की बनावट में वास्तु दोष रह जाता है| इस दोष के कारण ना चाहते हुए भी हमें कई किस्म के नुकसान देखने पड़ते है| यदि हम तोड़ फोड़ नही कराना चाहते तो यह यन्त्र किसी शुभ समय पर स्थापित करा लेना चाहिए|
वास्तु दोष निवारण यन्त्र की स्थापना की दिशा :
सम्पूर्ण वास्तु दोष निवारण यन्त्र को स्थापित करने के लिए सबसे अच्छी जगह है उत्तर या पूर्व दिशा|
कैसे करे इसकी पूजा :
वास्तु यन्त्र की पूजा में आप देवताओ के शिल्पकार विश्वकर्मा जी की पूजा करे| त्रिदेवो और अपने आराध्य देव को भी प्रसन्न रखे|
वास्तु दोष निवारण यंत्र से लाभ :
यदि घर में वास्तु दोष है तो यह उन सभी कमियों को कम कर देता है , लेकिन इसके लिए आप रोज इस यंत्र की पूजा करते रहे| ऑफिस या दुकान में भी वास्तु के दोष है तो वहा भी इसकी सही विधि से स्थापना कराये और नित्य पूजा करे वास्तु दोष दूर करने वाले 8 मंत्र - वैसे तो दिशाए 10 होती है पर वास्तु शास्त्र में 8 दिशाओ के आधार पर ही नियम बनाये गये है| किस दिशा से किस कौनसा देवता आपके वास्तु दोष से नाराज है| उन्ही के लिए वास्तु मंत्र का जप किया जाता है| वास्तु मंत्र का सही विधि से जप करने से ये दोष कम होते है और घर में सुख समृधि आपसी प्रेम बढ़ता है|
उत्तर दिशा से वास्तु दोष मुक्ति मंत्र :
हमारे सनातन धर्म में उत्तर दिशा धन के देवता कुबेर की बताई गयी है| यदि इस दिशा में वास्तु दोष है तो धन की कमी और अनावश्यक खर्च बढ़ जाते है| इस आर्थिक नुकसान से बचने के लिए कुबेर को प्रसन्न करे|
ॐ कुबेराय नमः और ॐ बुधाय नमः
दक्षिण दिशा से वास्तु दोष मुक्ति मंत्र :
शास्त्रों के अनुसार दक्षिण दिशा यमराज और नवग्रहों में मंगल की होती है| यदि घर के दक्षिण में वास्तु दोष है तो आप मंगल यन्त्र को स्थापित करे और मंगल दोष निवारण उपाय काम में ले|
ऊँ अं अंगारकाय नमः और यम देवता के लिए ऊँ यमाय नमः
आग्नेय दिशा (दक्षिण-पूर्व) से वास्तु दोष मुक्ति मंत्र :
यह दिशा अग्नि कोण की मानी जाती है| घर के इस भाग में जल तत्व नही अग्नि जरुर होनी चाहिए| वास्तु शास्त्र में रसोई के लिए यह जगह सबसे अच्छी है| यदि इस दिशा में वास्तु का दोष है तो फिर आप अग्नि देव और शुक्र देव को प्रसन्न करने वाले मंत्र का जप करे|
ऊँ अग्नेय नमः और ऊँ शुं शुक्राय नमः
ईशान (उत्तर-पूर्व ) से वास्तु दोष मुक्ति मंत्र :
इस दिशा के देवता महादेव है और स्वामी है देवताओ के गुरु बृहस्पति| आप इस दिशा के वास्तु दोष को दूर करने के लिए शिव और बृहस्पति देव को प्रसन्न करे|
ॐ नमः शिवाय और ऊँ बृं बृहस्पतये नमः
नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) से वास्तु दोष मुक्ति मंत्र :
घर में दक्षिण-पश्चिम दिशा को राहु की दिशा माना गया है| यदि इस दिशा में दोष होता है तो अकस्मात दुर्घटना हो सकती है| राहु के मन्त्र जप से आप वास्तु दोष को कम कर सकते है|
ऊँ नैऋताय नमः और ऊँ रां राहवे नमः
पश्चिम दिशा से वास्तु दोष मुक्ति मंत्र :
वरुण देव और सूर्य पुत्र शनिदेव को इस दिशा का स्वामी माना जाता है| वास्तुशास्त्र में पश्चिम दिशा से दोष मुक्ति के लिए आप इन देवताओ के मंत्र का नित्य जप करे|
ऊँ शं शनैश्चराय नमः और ॐ जलदेव वरुणाय नमः
पूर्व दिशा से वास्तु दोष मुक्ति मंत्र :
पूर्व दिशा के स्वामी भगवान सूर्यदेव और इन्द्र को बताया गया है| आप इन दोनों के मंत्र का जाप करे जिससे आपका यश कीर्ति बढ़ेगी|
ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
वायव्य (उत्तर-पश्चिम) दिशा से वास्तु दोष मुक्ति मंत्र :
यह दिशा भगवान चन्द्र देवता की है| इसके देवता वायुदेव है| चन्द्र दोष वाले व्यक्ति का मन चंचल होता है| मन के हारे हार है , मन के जीते जीत| मन ही सफलता की कुंजी माना गया है| चन्द्र और वायु देव के मन्त्र जपे|
ॐ सोमाय: नमः ॐ वायुदेवाय: नमः
नियम एवं शर्तें :