रोहिणी नक्षत्र ज्योतिष रहस्य

रोहिणी नक्षत्र ज्योतिष रहस्य

अभी तक हमने अश्विनी, भरनी और कृतिका नक्षत्र के बारे में जाना आज की हमारी चर्चा रोहिणी नक्षत्र पर केंद्रित होगी। यदि आपके कोई सवाल हैं अथवा आप हमें कोई सुझाव देना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट पर विज़िट कर सकते हैं। आपके प्रश्नों के यथा संभव समाधान के लिए हम वचन बद्ध हैं।

रोहिणी नक्षत्र वैदिक ज्योतिष में

मित्रों २७ नक्षत्रों को १२ राशियों में विभाजित किया गया है और फिर प्रत्येक राशि को सवा दो नक्षत्रों में अब तक आपने जाना की अश्विनी व्भरनी नक्षत्रों के चार चार चरण मेष राशि में आये। इसके बाद तीसरे यानी कृतिका नक्षत्र का पहला चरण ३.२० डिग्री मेष राशि में और बाकी बची १० डिग्री वृष राशि में आयी। इस प्रकार कृतिका नक्षत्र मेष राशि में २६.40 डिग्री से लेकर वृष राशि के १० डिग्री तक गति करता है। अब वृष राशि की १० डिग्री से लेकर २३.२० डिग्री तक का क्षेत्र रोहिणी नक्षत्र के अधीन होगा।

अभी तक हमने आपको जानकारी दी की प्रत्येक नक्षत्र १३.२० डिग्री तक गति करता है, तो यदि हम १३.२० को चार (नक्षत्र) से गुना करें तो पाते हैं की चौथा नक्षत्र ४० डिग्री से ५३.२० डिग्री तक गति करेगा। प्रत्येक भाव या राशि में ३० डिग्री आती है तो इस हिसाब से वृष राशि में १० डिग्री तक कृतिका नक्षत्र के तीन चरण आते हैं और १० डिग्री से लेकर२३.२० डिग्री तक रोहिणी नक्षत्र के चारों चरण  आये। अतः स्पष्ट हो जाता है की रोहिणी नक्षत्र वृष राशि में आता है। अब हम रोहिणी नक्षत्र को लेकर आगे बढ़ते हैं। उत्तर भारतीयों में इस नक्षत्र की आकृति रथ के सामान कही गयी है। यह आकृति पांच तारों के समूह से बनी मानी गयी है। वहीँ दक्षिण भारतीय इसे बयालीस तारों से बनी  वट वृक्ष की आकृति कहते हैं। जहाँ तक इस नक्षत्र के गुण तत्व की बात है वह नार्थ व्साउथ इंडियन दोनों के लिए सामान है।

            नक्षत्र स्वामी : चंद्र ( १० डिग्री से २३.२० डिग्री )

            नक्षत्र देव : ब्रह्मा

            राशि स्वामी : शुक्र

            विंशोत्तरी दशा स्वामी : चंद्र

            चरण अक्षर : ओ, व, वि, वू

            वर्ण : वैश्य

            गण : मनुष्य

            योनि : सर्प

            नाड़ी : अन्त्य

            प्रथम चरण : मंगल

            द्वितीय चरण : शुक्र

            तृतीय चरण : बुद्ध

            चतुर्थ चरण : चंद्र

            वृक्ष : जम्बुल ( जामुन )