जायफल: उपयोगी जड़ी-बूटी और औषधीय गुणों से भरपूर वरदान

परिचय
जायफल केवल एक मसाला नहीं, बल्कि एक अत्यंत प्रभावशाली औषधीय जड़ी-बूटी है। इसे आयुर्वेद में "जातिफल" कहा गया है। जायफल का उपयोग प्राचीन काल से पाचन तंत्र, स्नायु तंत्र, श्वसन तंत्र और मानसिक विकारों में होता आ रहा है। इसका वृक्ष मुख्यतः जावा, सुमात्रा, मलेशिया जैसे द्वीपों में पाया जाता है, जबकि भारत में यह बंगाल, नीलगिरि, त्रावणकोर और मलाबार क्षेत्रों में सीमित मात्रा में मिलता है।
भाषागत नाम
भाषा | नाम |
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संस्कृत | जातिफल |
हिन्दी, मराठी, गुजराती | जायफल |
तेलुगू | जाजिकाया |
तमिल | जाजिकई |
कन्नड़ | जाईफल |
मलयालम | जाजिकाई |
फारसी | जौजबुया |
इंग्लिश | Nutmeg |
लैटिन | Myristica fragrans |
रासायनिक संरचना
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उड़नशील तेल: 6–16%
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स्थिर तेल: 38–43%
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प्रोटीन: 7.5%
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स्टार्च: 14.6–24.2%
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खनिज: 1–7%
गुण व प्रभाव
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रस में: कड़वा, तीक्ष्ण, गर्म, चटपटा
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दोषों पर प्रभाव: वात-कफ शामक
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पाचन में सहायक: अग्निदीपक, ग्राही
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मन और मस्तिष्क पर प्रभाव: उत्तेजक, निद्राजनक
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त्वचा व स्वर पर: झाइयाँ दूर करने वाला, स्वर सुधारक
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बल्य और वाजीकारक गुणों से युक्त
प्रमुख रोगों में उपयोग
त्वचा संबंधी समस्या (झाइयाँ, दाग-धब्बे)
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पत्थर पर पानी से घिसकर लेप बनाएं
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नेत्रों के आसपास व चेहरे पर लगाएं
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नेत्रज्योति व त्वचा की चमक में वृद्धि
बच्चों में दूध न पचना
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ऊपर के दूध में आधा पानी मिलाकर उसमें जायफल डालकर उबालें
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कुनकुना करके पिलाएं → दूध आसानी से पचता है
जोड़ों का दर्द व गठिया
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जायफल और सरसों का तेल मिलाकर मालिश करें
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गर्मी उत्पन्न होती है, सूजन व दर्द में राहत मिलती है
उदर शूल व पेट दर्द
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जायफल तेल की 2-3 बूंद बताशे या शक्कर में लें
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दांत दर्द में रुई में तेल डालकर प्रभावित दांत पर रखें
पुराना घाव भरना
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मल्हम में जायफल तेल मिलाकर घाव पर लगाएं
हैजा और अतिसार
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आग में भूनकर एक-एक ग्राम चूर्ण शहद के साथ दें
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ऐंठन में: जायफल चूर्ण+सरसों तेल उबालकर शरीर पर मालिश करें
सर्दी व सिर दर्द
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पानी में घिसकर नाक व माथे पर लेप लगाएं
वमन व प्यास अधिक लगना (अजीर्ण)
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10 ग्राम चूर्ण को 1 लीटर उबले पानी में डालें
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ठंडा कर दिनभर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दें
प्रसवोपरांत कमर दर्द
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जायफल को शराब में घिसकर लेप करें
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बंगला पान में 1 ग्राम चूर्ण खिलाएं
शिशु की छाती में कफ
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पानी में घिसकर कुनकुना लेप करें
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छाती व पीठ पर लगाकर कपड़े से गर्म सेक करें
शिशु को सर्दी-जुकाम
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जायफल और सौंठ को गाय के घी में घिसकर दिन में 3 बार चटाएं
अनिद्रा (नींद न आना)
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पत्थर पर पानी से घिसकर पलकों पर लेप करें
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जायफल + जावित्री + दूध + मिश्री मिश्रण, रात को सेवन करें
प्रमुख आयुर्वेदिक योग जिनमें जायफल प्रयोग होता है:
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जातिफलादि वटी
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वीर्य स्तम्भन वटी
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मृगनाभ्यादि वटी
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मकरध्वज वटी
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कामचूड़ामणि रस
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सालम पाक, बादाम पाक, मुसली पाक
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अश्वगंधा पाक
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महत्वपूर्ण सावधानी
जायफल सीमित मात्रा में ही प्रयोग करें।
अधिक मात्रा में सेवन से मादक प्रभाव, चक्कर, प्रलाप, मस्तिष्क पर प्रभाव जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
बच्चों में मात्र नियंत्रित रूप से प्रयोग करें।
निष्कर्ष
जायफल, आयुर्वेद की एक बहुउपयोगी जड़ी-बूटी है, जो न केवल पाचन, वात-कफ विकार, त्वचा, सर्दी, नींद, मानसिक तनाव जैसी समस्याओं में लाभकारी है, बल्कि इसे शिशुओं से लेकर वृद्धों तक के लिए सावधानीपूर्वक उपयोग किया जा सकता है।
थोड़ा जायफल – गहरा असर
यह छोटी सी जड़ी-बूटी घर की औषधि पेटिका में अवश्य होनी चाहिए।