छ: ग्रहों की युति का प्रभाव

जन्म के समय जातक कई प्रकार के अच्छे योग तथा कई बुरे योग लेकर उत्पन्न होता है. उन योगों तथा दशा के आधार पर ही जातक को अच्छे अथवा बुरे फल प्राप्त होते हैं. योगों में शामिल ग्रह की दशा या अन्तर्दशा आने पर ही इन योगों का फल जातक को मिलता है. कुण्डलियों में सारे ग्रह कभी अलग-अलग भावों में स्थित होते हैं तो कभी ग्रह द्विग्रही योग बनाते हैं तो किन्हीं जातकों की कुण्डली में चार ग्रह एक ही भाव में स्थित होते हैं तो कभी पाँच और छ: ग्रहों की एक साथ युति दिखाई देती है. सात तथ अष्टग्रही योग भी यदा-कदा बन ही जाते हैं.
जिन व्यक्तियों की कुण्डली में पाँच, छ:, सात या आठ ग्रहों की युति होती है उन व्यक्तियों के जीवन में उतार-चढा़व अधिक देखे गए हैं. उनके जीवन में अदभुत घटनाएँ देखने को मिलती है. ऎसे जातकों के भीतर अदभुत प्रतिभा का समावेश रहता है. एक बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि ग्रहों के इस योग में राहु/केतु को शामिल नहीं किया जाता है.
छ: ग्रहों की युति कई वर्षों के अंतराल के बाद होती है. छ: ग्रहों की युति का प्रभाव ग्रहों के स्वभाव पर निर्भर करता है. ग्रह व्यक्ति विशेष की कुण्डली के लिए शुभ हैं या अशुभ हैं इसके अनुसार ही फल जातक को मिलते हैं.
सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु तथा शुक्र की युति :
व्यक्ति विशेष की कुण्डली में इन छ: ग्रहों की युति होने से जातक बुद्धिमान होता है. उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाला होता है. अपने कर्त्तव्यों का पालन करता है. धर्म में आस्था रखने वाला होता है. भाग्यशाली होता है. दूसरों के लिए परोपकार करता है. जीवन में अनेकों संघर्ष के पश्चात ही व्यक्ति धनार्जित करने में कामयाब होता है. व्यक्ति को वैवाहिक सुख तथा संतान सुख अच्छा मिलता है. जातक को प्राकृतिक स्थलों पर जाना रुचिकर लगता है. धार्मिक स्थानों पर जाने में वह आस्था रखता है.
सूर्य,चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु तथा शनि की युति :
व्यक्ति विशेष की कुण्डली में उपरोक्त छ: ग्रहों का योग होने पर वह परोपकारी होता है. व्यक्ति को दूसरों की भलाई करने में ही सुख तथा संतोष की प्राप्ति होती है. व्यक्ति स्वाध्याय में लगा रहता है. प्रभु में आस्था रखता है. ईश्वर की भक्ति में विश्वास रखता है. इस योग के जातक उदार हृदय होते हैं. इन व्यक्तियों को नए – नए लोगों से मित्रता करना अच्छा लगता है. यह माता-पिता की सेवा में लगे रहते हैं. अपने बन्धु-बांधवों की सहायता को हर समय तत्पर रहते हैं. इस योग के व्यक्तियों को देश-विदेश की यात्रा करने के सुअवसर प्राप्त होते हैं.
सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, शुक्र तथा शनि :
इस योग में ज्न्मा जातक सुंदर तथा आकर्षक व्यक्तित्व का धनी होता है. ऎसे जातक को संगीत तथा गायन में रुचि होती है. अभिनय तथा कला के अन्य क्षेत्रों में जातक की अभिरुचि रहती है. जातक व्यवहार कुशल होता है. उसका स्वभाव मिलनसार होता है. सभी से हँसकर बात करना उसके व्यवहार में शामिल होता है. जातक को अपने क्षेत्र में लोकप्रियता हासिल होती है. वाद-विवाद में विजयी होता है. अपने सभी शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है. (Frogbones) व्यक्ति को जीवन में सांसारिक तथा भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है. इस योग के जातकों में एक कमी यह होती है कि वह सरलता से किसी अन्य पर विश्वास नहीं करते हैं.
सूर्य, चन्द्र, मंगल, गुरु, शुक्र तथा शनि की युति :
इन सभी ग्रहों की युति किसी एक भाव में होने से जातक बुद्धिमान होता है लेकिन उसे घूमना बहुत अच्छा लगता है. एक स्थान पर टिककर बैठना जातक को पसन्द नहीं होता है. वह भ्रमणशील होता है. जातक में साहस, पराक्रम तथा पुरुषार्थ की कमी नहीं होती. जातक अपनी धुन तथा स्वार्थ का पक्का होता है. यह जातक किसी एक विषय पर गहनता से सोच-विचार किए बिना ही शीघ्रता से निर्णय ले लेते हैं. इस कारण आवेश, जल्दबाजी अथवा क्रोध में लिए निर्णयों से इन्हें हानि उठानी पड़ती है. इस योग के व्यक्तियों को 45 वर्ष की उम्र के बाद गुप्त रोग होने की संभावनाएँ बनती है.
सूर्य, चन्द्र, बुध, गुरु, शुक्र तथा शनि की युति :
इस योग में जन्म लेने वाले जातक की भ्रमणशील प्रवृति होती है. जातक का मन-मस्तिष्क अस्थिर रहता है. मन में चंचलता का वास अधिक होता है, बुद्धि अस्थिर होने से किसी एक विषय पर अपनी राय कायम नहीं कर पाते हैं. इन्हें उच्च शिक्षा प्राप्ति में कई प्रकार की बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है. इनके व्यवसाय में भी रुकावटें आती रहती हैं. इन्हें पारीवारिक तथा दाम्पत्य सुख में कमी मिलती है. इस योग के जातकों का भाग्योदय स्वदेश की बजाय या विदेश या अपने जन्म स्थान से दूर जाकर होता है. इन्हें 40 वर्ष की उम्र के बाद ही कार्यक्षेत्र में उन्नति मिलती है और इनकी प्रतिष्ठा स्थापित होती है.
सूर्य, चन्द्र, बुध, गुरु, शुक्र तथा शनि की युति :
इस योग में जन्म लेने वाले जातक की भ्रमणशील प्रवृति होती है. जातक का मन-मस्तिष्क अस्थिर रहता है. मन में चंचलता का वास अधिक होता है, बुद्धि अस्थिर होने से किसी एक विषय पर अपनी राय कायम नहीं कर पाते हैं. इन्हें उच्च शिक्षा प्राप्ति में कई प्रकार की बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है. इनके व्यवसाय में भी रुकावटें आती रहती हैं. इन्हें पारीवारिक तथा दाम्पत्य सुख में कमी मिलती है. इस योग के जातकों का भाग्योदय स्वदेश की बजाय या विदेश या अपने जन्म स्थान से दूर जाकर होता है. इन्हें 40 वर्ष की उम्र के बाद ही कार्यक्षेत्र में उन्नति मिलती है और इनकी प्रतिष्ठा स्थापित होती है.
सूर्य, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र तथा शनि :
इस योग के व्यक्ति उच्च शिक्षा ग्रहण करते हैं. विद्वान तथा बुद्धि कुशल होते हैं. देश-विदेशों की यात्रा करना इन्हें अच्छा लगता है. अधिकतर समय यह यात्राओं पर रहते हैं. यह तीर्थ स्थानों पर भी बहुत जाते हैं. यह उच्च तथा प्रतिष्ठित व्यक्तियों से अधिक सम्पर्क रखते हैं. यह धार्मिक विषयों में अधिक रुचि रखते हैं. परोपकारी स्वभाव होता है. यह भौतिक सुखों से सम्पन्न होते हैं. इन्हें गूढ़ विषयों तथा ज्योतिष में भी रुचि होती है.
इस योग में मंगल तथा बुध की युति है. इन ग्रहों की युति होने से व्यक्ति अच्छा वक्ता होता है. जातक चिकित्सा पद्दति में अपना नाम कमाता है. इसके अतिरिक्त इस योग के जातक हस्तशिल्प तथा तकनीकी क्षेत्रों में भी रुचि रखते हैं.
चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र तथा शनि की युति :
इन ग्रहों का योग होने से जातक ज्ञानी तथा विद्वान होता है. ईश्वर की भक्ति में आस्था रखता है. धर्म को मानने वाला होता है. अपनी बुद्धि तथा योग्यता के मिश्रण से धन तथा सम्पदा एकत्रित करने में कामयाब होता है. सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं से सुसम्पन्न होता है. वाहनादि का सुख मिलता है. सरकार या सरकारी महकमों से लाभ मिलता है. सुंदर जीवनसाथी होता है. संतान सुख पाता है. ज्योतिष, धर्म, योग तथा अन्य गूढ़ विषयों में जातक रुचि रखता है.