श्री गायत्री मंत्र
गायत्री मंत्र सर्वप्रथम ब्रम्हऋषि विश्वामित्र के समक्ष प्रकट किया गया। गायत्री मंत्र का मूल महत्व सूर्य देवता की उपासना है। वेद के अनुसार, गायत्री मंत्र का जप प्रातःकाल और सांयकाल में सूर्य देवता के समक्ष किया जा सकता है। गायत्री मंत्र का जाप दिन में तीन बार प्रातः, मध्यान्ह और संध्या को किया जा सकता है। प्रातःकाल में, यह भगवान ब्रम्हा को समर्पित है और गायत्री कहलाती है, मध्यान्ह में यह भगवान विष्णु को समर्पित है और सावित्री कहलाती है; जबकि सांयकाल में भगवान शिव को समर्पित है और सरस्वती कही जाती है। मुख्यतः गायत्री मंत्र में २४ अक्षर होते हैं। गायत्री मंत्र भौतिक, भावनात्मक और मानसिक चिकित्सा का मंत्र है। सूक्ष्म कर्मों को शुद्ध करना, बाधाओं से संरक्षण, आध्यात्मिक जागृति और आत्म-बोध का मंत्र है।
गायत्री मंत्र के लिए प्रयोग की जाने वाली जप माला
रूद्राक्ष माला
गायत्री मंत्र के लिए प्रयोग किए जाने वाले फूल
सभी प्रकार के लाल फूल
गायत्री मंत्र के लिए कुल जप संख्या
१,२५००० बार
गायत्री मंत्र जप का श्रेष्ठ समय या मुहूर्त
प्रातः रोहिणी मृगषिरा, उत्तरा भाद्रपद, उत्तरा फाल्गुनी, रेवती मूल स्वाति
गायत्री मंत्र की देवी
वेद माता गायत्री देवी को गायत्री मंत्र की देवी माना गया है। वह देवी सरस्वती, ज्ञान और चार वेदों की दाता, की अवतार हैं। गायत्री देवी लाल कमल पर विराजमान हैं जो संपत्ति का सूचक है; वह एक श्वेत हंस के साथ हैं जो शुद्धता का प्रतिक है; वह एक हाथ में पुस्तक और एक में औषधि धारण किये हुए हैं जो क्रमशः ज्ञान और स्वास्थ्य का सूचक है। उन्हें ५ शीर्ष के साथ दिखाया गया है जो 'पंच प्राण ' या ५ इन्द्रियों के प्रतिक के रूप में हैं। गायत्री मंत्र सूर्य को समर्पित है। सूर्य को सवित्र भी कहा जाता है। गायत्री मंत्र प्रकाश और जीवन के अनंत स्रोत सूर्य की प्रार्थना है जो सभी विषयों में बुद्धि का मार्गदर्शन करके हमारी चेतना जगाता है। सविता यानि गायत्री सवित्र या सूर्य के पीछे की प्रेरक शक्ति है।
गायत्री मंत्र के लाभ
गायत्री मंत्र का जप सार्वभौमिक चेतना की प्राप्ति और सहज ज्ञान युक्त शक्तियों के जागृति के लिए होता है। यह माना जाता है और कहा गया है कि गायत्री मंत्र का नियमित जप प्राण शक्ति सक्रिय करता है, अच्छा स्वास्थ्य, ज्ञान, मानसिक शक्ति, समृद्धि और आत्मज्ञान प्रदान करता है। परम सत्य की ओर अग्रसर करके ईश्वर का परम बोध कराता है। गायत्री मंत्र में बाधाएं दूर करने, रोगों से बचाने और संकट से सुरक्षा की शक्ति है। ऐसा माना जाता है की गायत्री मंत्र के २४ प्रकार है जो अलग - अलग प्रयोजन के लिए जपे जाते हैं।
गायत्री मंत्र
गायत्री मंत्र वेद के मौलिक सिद्धांत का प्रचार करता है कि एक मनुष्य किसी भी सिद्ध पुरुष या अवतार के बिना अपने स्वयं के प्रयासों से अपने जीवन में ईश्वर का बोध प्राप्त कर सकता है।
विष्णु गायत्री मंत्र
इस मंत्र का जप मेधावी बनने के लिए होता है।
लक्ष्मी गायत्री मंत्र
लक्ष्मी गायत्री मंत्र का जप समृद्धि और सफलता प्राप्ति के लिए किया जाता है।
नारायण गायत्री मंत्र
यह मंत्र जप अपने कार्य की सिद्धि के लिए किया जाता है।
कृष्णा गायत्री मंत्र
कृष्णा गायत्री मंत्र का जप आकर्षण के लिए होता है।
शिव गायत्री मंत्र
यह मंत्र दीर्घायु होने के लिए जपा जाता है।
गणेश गायत्री मंत्र
गणेश गायत्री मंत्र का जप बाधाओं से मुक्ति के लिए होता है।
ब्रह्म गायत्री मंत्र
सर्व शांति हेतु गायत्री मंत्र
विद्या प्राप्ति हेतु गायत्री मंत्र
लक्ष्मी प्राप्ति हेतु गायत्री मंत्र
।।श्रीं भूर्भुवः स्वः श्रीं तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि श्रीं धियो यो नः प्रचोदयात् श्रीं।।
कामना सिद्धि हेतु गायत्री मंत्र
वशीकरण हेतु गायत्री मंत्र -
।।क्लीं भूर्भुवः स्वः क्लीं तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि क्लीं धियो यो नः प्रचोदयात् क्लीं।।
शत्रुनाश हेतु गायत्री मंत्र
।।क्रीं भूर्भुवः स्वः क्रीं तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि क्रीं धियो यो नः प्रचोदयात् क्रीं।।