होरा की गणना तथा उपयोग

होरा की गणना तथा उपयोग

होरा – प्रश्न ज्योतिष में इसका महत्व और उपयोग

होरा ज्योतिषीय समय का एक सूक्ष्म विभाजन होता है, जिसका उपयोग प्रश्न कुण्डली के विश्लेषण में किया जाता है। जब कोई व्यक्ति किसी विशेष समय पर कोई प्रश्न करता है, तो उस समय की होरा के आधार पर यह जाना जा सकता है कि प्रश्न किस ग्रह से संबंधित है, और उसकी स्थिति कैसी है। इससे प्रश्न की गहराई, प्रकृति और संभावित समाधान के बारे में दिशा मिलती है।

होरा कैसे निर्धारित करें?

  1. सूर्योदय का समय जानें
    सबसे पहले, उस दिन का सूर्योदय समय जानना आवश्यक है, जिस दिन प्रश्न पूछा गया है। मान लीजिए सूर्योदय का समय सुबह 6:00 बजे है।

  2. दिन और रात को 12-12 भागों में बाँटें

  • सूर्योदय से सूर्यास्त तक के 12 घंटे = 12 दिन की होरा
  • सूर्यास्त से अगली सुबह सूर्योदय तक के 12 घंटे = 12 रात्रि की होरा
    इस तरह कुल 24 होराएं होती हैं।
  1. पहली होरा वार स्वामी की होगी
    उस दिन कौन-सा वार है, यह जानें। जैसे:
    यदि प्रश्न सोमवार को पूछा गया है, तो पहली होरा (6 से 7 बजे) चंद्रमा की होगी, क्योंकि सोमवार का स्वामी चंद्रमा होता है।

  2. होरा का क्रम – वार स्वामी से छठे स्थान के क्रम में
    प्रत्येक अगली होरा, वर्तमान होरा स्वामी से छठे वार स्वामी की होती है। नीचे देखें सोमवार के दिन की होराओं का उदाहरण:

    समय होरा स्वामी
    6:00 - 7:00 चंद्रमा
    7:00 - 8:00 शनि
    8:00 - 9:00 गुरु
    9:00 - 10:00 मंगल
    10:00 - 11:00 सूर्य
    11:00 - 12:00 शुक्र
    12:00 - 1:00 बुध
    1:00 - 2:00 चंद्रमा
    2:00 - 3:00 शनि
    3:00 - 4:00 गुरु
    4:00 - 5:00 मंगल
    5:00 - 6:00 सूर्य
    6:00 - 7:00 शुक्र

    इस प्रकार यह क्रम पूरे 24 घंटों में चलता रहता है।

होरा के अनुसार ग्रह प्रभाव और प्रश्न का स्वरूप

जिस समय पर प्रश्न पूछा गया है, उस समय जो होरा चल रही हो, वही ग्रह उस प्रश्न का मुख्य स्वामी (होरेश) माना जाएगा। इस ग्रह के आधार पर हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि प्रश्न किस विषय से संबंधित है, जैसे:

  • सूर्य की होरा: सरकारी कार्य, पिता, आत्मबल, प्रतिष्ठा
  • चंद्रमा की होरा: माता, मन की स्थिति, भावनात्मक समस्याएँ
  • मंगल की होरा: विवाद, साहस, दुर्घटना, ऊर्जा से जुड़े प्रश्न
  • बुध की होरा: वाणी, व्यापार, शिक्षा, सूचना
  • गुरु की होरा: ज्ञान, धर्म, गुरु, विवाह, संतान
  • शुक्र की होरा: प्रेम, विवाह, कला, विलासिता
  • शनि की होरा: अड़चनें, कर्ज, पुराना रोग, मेहनत

यदि होरा स्वामी ग्रह पीड़ित, अस्त या पाप प्रभाव में हो, तो उस प्रश्न में बाधाएं आ सकती हैं या कार्य में सफलता मिलने में समय लग सकता है।

होरा को तीन भागों में विभाजित कर विश्लेषण

एक होरा सामान्यतः 1 घंटे की होती है। इसे तीन हिस्सों में बाँटा जाता है:

  • पहला भाग (0–20 मिनट): समस्या की शुरुआत का संकेत देता है।
  • दूसरा भाग (20–40 मिनट): समस्या मध्य में है, और कुछ समय तक बनी रह सकती है।
  • तीसरा भाग (40–60 मिनट): समस्या शीघ्र समाप्त होने वाली है।

इस विभाजन से यह पता लगाया जाता है कि प्रश्नकर्त्ता की समस्या किस स्थिति में है — अभी शुरू हुई है, जारी है या समाप्ति की ओर है।

होरा के अन्य उपयोग

  • प्रश्न की धातु, मूल तत्व और जीव चिन्ता का निर्धारण
  • प्रश्न की पुष्टि (confirmation)
  • भविष्यवाणी की दिशा तय करना

निष्कर्ष
होरा
प्रश्न ज्योतिष का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है। यह न केवल प्रश्न की प्रकृति को समझने में मदद करता है, बल्कि ग्रहों के गुप्त संकेतों के माध्यम से हमें भविष्य की संभावनाओं की दिशा भी दिखाता है। होरा की सटीक गणना और उसका विवेकपूर्ण उपयोग, ज्योतिष को और भी प्रभावशाली बनाता है।